विश्वविद्यालयों को स्वतंत्र स्व-शासन वाले संस्थान बनाने संबंधी विधेयक लोकसभा में पेश किया गया

विश्वविद्यालयों को स्वतंत्र स्व-शासन वाले संस्थान बनाने संबंधी विधेयक लोकसभा में पेश किया गया

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  • Publish Date - December 15, 2025 / 03:16 PM IST,
    Updated On - December 15, 2025 / 03:16 PM IST

नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र स्व-शासन वाले संस्थान बनाने के उद्देश्य से विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान, 2025 विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश किया।

कांग्रेस के मनीष तिवारी ने विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता का उल्लंघन करता है और उनकी स्वतंत्रता का क्षरण करता है। उन्होंने कहा कि इससे, राज्य कानून के तहत स्थापित शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता प्रभावित होगी।

वहीं, आरएसपी के एन. के. प्रेमचंद्रन ने विधेयक के हिंदी नाम को लेकर विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि दक्षिण भारत के सांसद को इसका उच्चारण करने में दिक्कत हो रही है। उन्होंने कहा कि इसका नाम अंग्रेजी में होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक संघवाद की भावना का उल्लंघन करता है।’’

उन्होंने यह दावा भी किया कि विधेयक की प्रति उपयुक्त समय पर सांसदों को वितरित नहीं की गई।

तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा, ‘‘हमें कल देर रात विधेयक की प्रति मिली और आज की कार्यसूची में भी इसे पेश किये जाने का उल्लेख नहीं था।’’

तृणमूल सदस्य ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्रालय ने ‘‘हमें विधेयक का अध्ययन करने का समय नहीं दिया…संसद ऐसे नहीं चलनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि संसद राज्य के विश्वविद्यालयों को अपने नियंत्रण में नहीं ले सकती। रॉय ने कहा कि यह (विधेयक) केंद्र को केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु में राज्य के विश्वविद्यालयों के कामकाम में हस्तक्षेप की अनुमति देता है।

द्रमुक के टी.वी. सेल्वागणपति ने आरोप लगाया कि यह सरकार कोई कानून लाती है, तो उसमें हिंदी शब्दावली का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि नियम इसकी अनुमति नहीं देता।

कांग्रेस की एस. जोतिमणि ने कहा कि वह इस विधेयक को हिंदी थोपने के तौर पर देख रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह तमिलनाडु जैसे राज्यों पर हिंदी थोपने की कोशिश है और शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।’’

वहीं, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि यह विधेयक पेश किया जाना संसद की विधायी क्षमता के अधीन है और इसके गुण-दोषों पर विधेयक पर चर्चा के दौरान विचार किया जाएगा।

विपक्षी सदस्यों के शोरगुल के बीच, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विधेयक को सदन में पेश किया।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और एआईसीटीई जैसे निकायों की जगह उच्च शिक्षा नियामक निकाय स्थापित करने वाले इस विधेयक को शुक्रवार को मंजूरी दी थी।

भाषा

सुभाष वैभव

वैभव