उच्च शुल्क से निपटने के लिए भारत ने मेक्सिको के साथ तरजीही व्यापार समझौते का प्रस्ताव रखा

उच्च शुल्क से निपटने के लिए भारत ने मेक्सिको के साथ तरजीही व्यापार समझौते का प्रस्ताव रखा

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  • Publish Date - December 15, 2025 / 05:20 PM IST,
    Updated On - December 15, 2025 / 05:20 PM IST

नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) मेक्सिको के ऊंचे आयात शुल्क से घरेलू निर्यातकों को राहत दिलाने के लिए भारत ने इस दक्षिण अमेरिकी देश के साथ एक तरजीही व्यापार समझौते (पीटीए) का प्रस्ताव रखा है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।

मेक्सिको ने उन देशों से आयात होने वाले उत्पादों पर लगभग पांच प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत तक आयात शुल्क लगाने का फैसला किया, जिनके साथ उसका मुक्त व्यापार समझौता नहीं है। यह शुल्क करीब 1,463 श्रेणियों पर लागू होंगे और इनमें भारत, चीन, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं।

वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि इस मुद्दे पर भारत ने मेक्सिको के साथ बातचीत शुरू कर दी है।

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ”तकनीकी स्तर पर बातचीत चल रही है…। आगे बढ़ने का सबसे तेज रास्ता तरजीही व्यापार समझौते का प्रयास करना है, क्योंकि मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने में काफी समय लगेगा। इसलिए हम इस बारे में विचार कर रहे हैं कि आगे बढ़ने का बेहतर तरीका क्या हो सकता है।”

अग्रवाल ने बताया कि जहां एफटीए में दो व्यापारिक साझेदार अधिकतम उत्पादों पर आयात शुल्क को काफी हद तक कम या समाप्त कर देते हैं, वहीं तरजीही व्यापार समझौते में सीमित संख्या में उत्पादों पर शुल्क घटाए या हटाए जाते हैं।

मेक्सिको के व्यापारिक साझेदार ऊंचे शुल्क लगाने के फैसले के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं करा सकते, क्योंकि ये शुल्क विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अनुरूप हैं।

उन्होंने कहा कि ये शुल्क निर्धारित सीमा दरों के भीतर हैं और इनका मुख्य लक्ष्य भारत नहीं है।

अग्रवाल ने कहा, ”हमने पीटीए का प्रस्ताव इसलिए रखा है क्योंकि यह डब्ल्यूटीओ के अनुरूप आगे बढ़ने का एक तरीका है…। हम एक पीटीए कर सकते हैं और भारतीय आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए आवश्यक रियायतें हासिल करने का प्रयास कर सकते हैं। इसी तरह भारत में उनके निर्यात को भी रियायत दी जा सकती है।”

मेक्सिको ने यह कदम चीन के आयात पर अंकुश लगाने के लिए उठाया है, लेकिन प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार इससे भारत के लगभग दो अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात प्रभावित होंगे।

भाषा पाण्डेय रमण

रमण