भुवनेश्वर, 28 दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को घोषणा की कि अगले महीने स्वतंत्रता सेनानी पार्वती गिरि का जन्म शताब्दी समारोह मनाया जाएगा।
मोदी ने ओडिशा की मूल निवासी गिरि को स्वतंत्रता संग्राम एवं समाज सुधार के प्रति उनके समर्पण को लेकर श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
मोदी ने वर्ष के अंतिम ‘मन की बात’ कार्यक्रम में गिरि का नाम लिया।
मोदी ने कहा कि देश के हर हिस्से के लोगों ने स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान दिया, लेकिन दुर्भाग्य से कई नायकों, चाहे वे पुरुष हों या महिला, को वह सम्मान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे।
उन्होंने कहा, ‘‘ओडिशा की पार्वती गिरि जी ऐसी ही एक स्वतंत्रता सेनानी हैं। उनकी जन्म शताब्दी जनवरी 2026 में मनाई जाएगी।
उन्होंने 16 वर्ष की आयु में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। स्वतंत्रता संग्राम के बाद पार्वती गिरि जी ने अपना जीवन समाज सेवा और आदिवासी कल्याण के लिए समर्पित कर दिया।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, “उन्होंने कई अनाथालय स्थापित किए। उनका प्रेरणादायक जीवन हर पीढ़ी का मार्गदर्शन करता रहेगा। मैं पार्वती गिरि को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।”
उन्होंने कहा कि देश अगले महीने 77वां गणतंत्र दिवस मनाएगा, ऐसे में जब भी ऐसे अवसर आते हैं, लोगों के दिल स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता से भर जाते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देशवासियों का यह दायित्व है कि वे अपनी विरासत को न भूलें।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उन नायकों, चाहे वे पुरुष हों या महिलाएं, की महान गाथा को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना होगा, जिन्होंने हमें स्वतंत्रता दिलाई।’’
मोदी ने कहा कि जब भारत ने स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ मनाई, तो सरकार ने एक विशेष वेबसाइट बनाई तथा उसमें एक खंड ‘गुमनाम नायकों’ को समर्पित था।
मोदी ने कहा,‘‘इस वेबसाइट पर जाकर उन महान हस्तियों के बारे में जाना जा सकता है जिन्होंने हमारे देश को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।’’
प्रधानमंत्री कार्यालय ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया,‘‘हम ओडिशा की स्वतंत्रता सेनानी पार्वती गिरि जी को याद करते हैं, जिन्होंने 16 वर्ष की आयु में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। बाद में उन्होंने अपना जीवन समाज सेवा और आदिवासी कल्याण के लिए समर्पित कर दिया।’’
वर्तमान बरगढ़ जिले में 19 जनवरी, 1926 को जन्मीं गिरि को उपनिवेशवाद विरोधी गतिविधियों के लिए दो साल की जेल हुई थी। महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें 16 वर्ष की आयु में दो साल के लिए जेल में डाल दिया गया था।
उन्होंने तीसरी कक्षा के बाद स्कूल छोड़ दिया था और महात्मा गांधी के आह्वान पर लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए गांवों का दौरा किया था। आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने 1950 में प्रयागराज के प्रयाग महिला विद्यापीठ में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के लिए दाखिला लिया।
भाषा राजकुमार रंजन
रंजन