मलेरिया के मामलों में 97 प्रतिशत की गिरावट, देश शीघ्र ही इस बीमारी से मुक्त होगा: अमित शाह

मलेरिया के मामलों में 97 प्रतिशत की गिरावट, देश शीघ्र ही इस बीमारी से मुक्त होगा: अमित शाह

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  • Publish Date - December 28, 2025 / 04:52 PM IST,
    Updated On - December 28, 2025 / 04:52 PM IST

Datia News / Image Source: IBC24

(तस्वीरों के साथ)

अहमदाबाद, 28 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि भारत में मलेरिया के मामलों में 97 प्रतिशत की कमी आयी है और देश ‘बहुत जल्द’ ही इस बीमारी से मुक्त हो जाएगा।

शाह अहमदाबाद के शेला में ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए)’ के ‘ऑल इंडिया मेडिकल कॉन्फ्रेंस – आईएमए नेटकॉन 2025’ को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, “आयुष्मान भारत और मिशन इंद्रधनुष जैसी विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं की बदौलत मलेरिया के मामलों में 97 प्रतिशत की कमी आई है और हम जल्द ही मलेरिया से लगभग मुक्त हो जाएंगे। सरकार डेंगू से होने वाली मृत्यु की दर को घटाकर मात्र एक प्रतिशत तक लाने में सफल रही है। मातृ मृत्यु दर में 25 प्रतिशत की कमी आई है।’’

शाह ने कहा, ‘‘केंद्र का स्वास्थ्य बजट वर्ष 2014 के 37,000 करोड़ रुपये से बढ़कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासनकाल में अब 1.28 लाख करोड़ रुपये हो गया है। ये सभी उपलब्धियां तभी हासिल होती हैं जब योजनाओं को जमीनी स्तर पर उतारा जाता है। नागरिकों के स्वास्थ्य में अभूतपूर्व बदलाव लाने के लिए भी काम किया गया है।’’

उन्होंने चिकित्सकों से कहा कि बेहतर परिणाम सुनिश्चित करने के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयास का इस बुनियादी ढांचे और योजना से मिलान होना चाहिए।

शाह ने कहा कि चिकित्सकों एवं आईएमए की भूमिका आज और भी महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के 2047 तक विकसित भारत की दिशादृष्टि को साकार करने के लिए देश को एक ‘स्वस्थ जनसांख्यिकी’ की आवश्यकता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वस्थ जनसांख्यिकी की इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, केंद्र 2014 से एक समग्र दृष्टिकोण के साथ एक मजबूत स्वास्थ्य परिवेशी तंत्र बनाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रयास के कुछ प्रमुख घटक स्वच्छ भारत मिशन, आयुष्मान भारत, ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ और ‘खेलो इंडिया’ हैं।

उन्होंने बताया, “हमने जेनेरिक दवाएं किफायती बनायी, जीएसटी हटाकर कई दवाओं की लागत कम की और मेडिकल सीट की संख्या बढ़ाई। हम अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एआईएमएस) की पहुंच का विस्तार कर रहे हैं। आने वाले दिनों में, हम एम्स के माध्यम से एक कार्यक्रम शुरू करेंगे जिसके तहत टेलीमेडिसिन और वीडियोग्राफी के जरिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) को मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा।”

आईएमए की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, शाह ने इसके नेतृत्व से किफायती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा के संदर्भ में अपने योगदान और कार्य के आयामों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया।

शाह ने कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि चिकित्सा क्षेत्र की नैतिकता और आयाम चिकित्सा शिक्षा का अभिन्न अंग बनने चाहिए। आईएमए की यह जिम्मेदारी है कि वह इन्हें पुनर्परिभाषित करे और केंद्र को चिकित्सा शिक्षा में इन्हें शामिल करने में सहायता करे। यदि हम ऐसा करते हैं, तो हमें ऐसे डॉक्टर मिलेंगे जो अपने पेशे को राष्ट्र की सेवा के रूप में देखेंगे, क्योंकि यह आज के समय की आवश्यकता है।’’

उन्होंने आईएमए से उन चिकित्सकों की सूची तैयार करने का भी आग्रह किया जो स्वयंसेवक के रूप में काम करने और टेलीमेडिसिन नेटवर्क के माध्यम से जरूरतमंद नागरिकों को निदान प्रदान करने के लिए प्रतिदिन तीन घंटे समर्पित करने को तैयार हैं।

इस अवसर पर शाह ने कुछ चिकित्सकों द्वारा केंद्र की आयुष्मान भारत योजना के योगदान और जरूरतमंद नागरिकों को जेनेरिक दवाएं बेचने के प्रयासों को कम आंकने पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में मौजूद कमी को पूरा करने के लिए ये योजनाएं आवश्यक हैं।

शाह ने कहा, ‘‘एक रिक्तता है जिसे भरना होगा। आप (निजी क्षेत्र के डॉक्टर) किसी के साथ प्रतिस्पर्धा में नहीं हैं। अगर आप इन प्रयासों का महिमामंडन नहीं करते हैं तो कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन कुछ लोगों द्वारा, सभी द्वारा नहीं, इन्हें कमतर दिखाने के प्रयासों को रोका जाना चाहिए।’’

भाषा राजकुमार अमित

अमित