दो भाइयों के साथ सुहागरात मनाएगी ये युवती! एक ही मंडप में दोनों के साथ लिए सात फेरे, जानिए क्या है पूरा मामला

दो भाइयों के साथ सुहागरात मनाएगी ये युवती! Bride will Celebrate Her Wedding Night With Two Brothers

  •  
  • Publish Date - July 19, 2025 / 10:11 PM IST,
    Updated On - July 19, 2025 / 11:59 PM IST
HIGHLIGHTS
  • शिलाई क्षेत्र में दो सगे भाइयों ने एक ही लड़की से रीति-रिवाज के साथ विवाह किया।
  • यह विवाह 'उजला पक्ष' नाम की प्राचीन बहुपतिप्रथा का हिस्सा है, जो अब विलुप्तप्राय हो चुकी थी।
  • शादी में पूरे गांव ने भाग लिया और यह तीन दिन तक पारंपरिक रीति-रिवाजों से संपन्न हुई।

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई क्षेत्र में एक अनोखी शादी चर्चा का विषय बनी हुई है। यहां दो सगे भाइयों ने पूरे रीति-रिवाजों के साथ एक ही लड़की से विवाह रचाया है। यह विवाह न केवल इलाके में चर्चा का कारण बना, बल्कि एक विलुप्तप्राय लोक परंपरा को भी पुनर्जीवित करने वाला साबित हुआ है। इस प्रथा को हाटी समाज में ‘उजला पक्ष’ के नाम से जाना जाता है।

Read More : Chhatarpur News: आदिवासी युवकों के गुप्तांग में मिर्ची डाल दी मिर्ची! अर्धनग्न अवस्था में ही SP कार्यालय के बाहर प्रदर्शन

जानकारी के अनुसार, इस शादी की 11 जुलाई को रस्में शुरू हुई थीं। इस दिन दूल्हे के मामा शादी वाले घर पहुंचे। 12 जुलाई की सुबह दोनों भाइयों की बारात साथ लगते कुन्हाट गांव पहुंची। यहां शादी की रस्में पूरी की गईं। इसके बाद शाम को ही दुल्हन की विदाई हो गई। इसके बाद 13 जुलाई को लड़के वालों के घर शादी की सभी रस्में पूरी की गईं। इन 3 दिनों में लड़के वालों के घर पारंपरिक नाच-गाने चलते रहे। साथ ही इससे गांव में उत्सव का माहौल रहा। शादी में आसपास के गांव के लोगों समेत करीब 4 हजार रिश्तेदार शामिल हुए थे। सभी मेहमानों को 3 दिन तक पारंपरिक व्यंजन परोसे गए।

Read More : CG News: लाख कहने पर भी मायके नहीं ले जा रहा था पति, बनाता था ऐसा बहाना, पत्नी ने उठाया ये खौफनाक कदम

पहले प्रचलित थी ये परंपरा

सिरमौर और उत्तराखंड के जौनसार-बावर क्षेत्रों में प्राचीन काल में एक महिला से कई पुरुषों के विवाह की परंपरा प्रचलित थी। इस परंपरा के तहत दो या अधिक भाई एक ही युवती से शादी करते थे। हालांकि, समय के साथ यह प्रथा लगभग समाप्त हो चुकी है। 1970 और 1980 के दशक के बाद ऐसी शादियां बहुत कम देखने को मिलीं। इस ताजा मामले ने एक बार फिर इस परंपरा को चर्चा में ला दिया है। कहा जाता है कि इस परंपरा का संबंध पांडवों से भी है, जिनमें द्रौपदी के पांच पांडवों से विवाह की कथा प्रसिद्ध है। हालांकि, सोशल मीडिया पर इस शादी को लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं। कई लोग कह रहे हैं कि समय के साथ समाज में बदलाव आ चुका है, और सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर युवती इस अनोखी शादी के लिए कैसे राजी हुई।

'उजला पक्ष' क्या है?

'उजला पक्ष' हाटी समाज की एक पारंपरिक प्रथा है, जिसमें दो या अधिक सगे भाई एक ही स्त्री से विवाह करते हैं। यह प्रथा संयुक्त परिवार और संपत्ति के बंटवारे को रोकने के उद्देश्य से अपनाई जाती थी।

यह परंपरा अब कितनी प्रचलित है?

समय के साथ यह प्रथा लगभग समाप्त हो चुकी थी, लेकिन शिलाई क्षेत्र के इस विवाह ने इसे दोबारा जीवंत किया है। आज के समय में यह अत्यंत दुर्लभ है।

क्या इस प्रकार की शादी कानूनन मान्य है?

भारतीय कानून में एक महिला के एक से अधिक पुरुषों से विवाह (बहुपतिप्रथा) की अनुमति नहीं है। ऐसे विवाह सामाजिक रूप से स्वीकार्य हो सकते हैं, लेकिन कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त नहीं होते।

इस शादी में कौन-कौन शामिल हुआ?

यह शादी पूरे गांव, रिश्तेदारों और स्थानीय लोगों की उपस्थिति में पारंपरिक ढंग से तीन दिन तक मनाई गई।

यह शादी किन परिवारों के बीच हुई?

शिलाई के थिंडो खानदान के दो बेटों ने कुन्हट गांव की एक बेटी से विवाह किया। एक बेटा जल शक्ति विभाग में कार्यरत है और दूसरा विदेश में नौकरी करता है।