बंगाल के प्रवासी कामगारों की हिरासत को लेकर स्थिति स्पष्ट करे दिल्ली सरकार: कलकत्ता उच्च न्यायालय
बंगाल के प्रवासी कामगारों की हिरासत को लेकर स्थिति स्पष्ट करे दिल्ली सरकार: कलकत्ता उच्च न्यायालय
कोलकाता, 11 जुलाई (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दिल्ली में पश्चिम बंगाल के प्रवासी कामगारों को अवैध रूप से हिरासत में रखने का आरोप लगाने वाली दो बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को केंद्र शासित प्रदेश की सरकार से यह स्पष्ट करने करने को कहा कि क्या वे हिरासत में हैं।
कथित तौर पर हिरासत में लिए गए लोगों के परिजनों ने याचिका में संबंधित अधिकारियों को उनकी रिहाई और अदालत के समक्ष पेश करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है।
दोनों याचिकाओं में दावा किया गया था कि स्वीटी बीबी, कुर्बान शेख, उनके नाबालिग बेटे, सुनाली खातून, दानिश और उनके नाबालिग पोते को नयी दिल्ली में अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है।
उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि बंगाली भाषी लोगों को दिल्ली में इस संदेह पर हिरासत में लिया गया है कि वे बांग्लादेशी नागरिक हैं और अधिकारियों ने उनकी पहचान की भी जांच नहीं की।
न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति रीतोब्रोतो कुमार मित्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद कहा, ‘‘आरोपों की प्रकृति को देखते हुए, प्रथम दृष्टया हमारा मानना है कि रिट याचिका पोषणीय है और यह अदालत मूकदर्शक नहीं बनी रह सकती।’’
पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह इस बारे में प्रासंगिक दस्तावेज पेश करे कि क्या दोनों को हिरासत में लिया गया था या वे लापता हैं।
अदालत ने दिल्ली सरकार को यह भी बताने का निर्देश दिया कि क्या यह ‘‘हिरासत’’ किसी अदालत के आदेश के संबंध में थी और इसके पीछे क्या आधार था?
उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार से यह भी पूछा कि क्या कथित तौर पर हिरासत में लिये गए लोगों को हिरासत में लेने का आधार बताया गया था।
पीठ ने दिल्ली प्रशासन से यह भी पूछा है कि क्या उनकी हिरासत पुलिस अधिकारियों या राज्य के अधिकारियों द्वारा की जा रही किसी जांच से संबंधित है।
अदालत ने यह भी जानना चाहा है कि क्या इस संबंध में दोनों राज्यों की सरकारों के बीच कोई पत्राचार हुआ था।
पीठ ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को आदेश के अनुपालन के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अपने समकक्ष के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया।
अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 16 जुलाई तय की है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को ओडिशा सरकार को भी इसी तरह का आदेश दिया था। अदालत ने उक्त आदेश उस याचिका पर दिया जिसमें आरोप लगाया गया था कि पश्चिम बंगाल के दो प्रवासी श्रमिक पड़ोसी राज्य में अवैध रूप से हिरासत में लिए गए हैं।
भाषा धीरज मनीषा
मनीषा

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