नकदी बरामदगी मामला: न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने जांच रिपोर्ट के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया

नकदी बरामदगी मामला: न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने जांच रिपोर्ट के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया

नकदी बरामदगी मामला: न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने जांच रिपोर्ट के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया
Modified Date: July 18, 2025 / 11:39 am IST
Published Date: July 18, 2025 11:39 am IST

नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने आंतरिक जांच समिति की उस रिपोर्ट को अमान्य ठहराने का अनुरोध करने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है, जिसमें उन्हें नकदी बरामदगी मामले में कदाचार का दोषी पाया गया है।

वर्मा ने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा 8 मई को की गई, संसद से उनके खिलाफ महाभियोग चलाने का आग्रह करने वाली सिफारिश को रद्द करने की मांग की है।

सरकार 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में वर्मा को हटाने के लिए प्रस्ताव लाने की योजना बना रही है।

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अपनी याचिका में, न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा कि जांच ने ‘साक्ष्य प्रस्तुत करने की उस जिम्मेदारी को उलट दिया’, जिससे उन्हें अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करनी है और उन्हें गलत साबित करना है।

न्यायमूर्ति वर्मा ने आरोप लगाया कि समिति के निष्कर्ष एक पूर्वकल्पित कहानी पर आधारित थे।

याचिका में तर्क दिया गया है कि जांच समिति ने उन्हें पूर्ण और निष्पक्ष सुनवाई का अवसर दिए बिना ही प्रतिकूल निष्कर्ष निकाले।

याचिका को अभी सुनवाई के लिए किसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना है।

घटना की जांच कर रही समिति की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि न्यायमूर्ति वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का उस स्टोर रूम पर गुप्त या सक्रिय नियंत्रण था जहां बड़ी मात्रा में अधजली नकदी मिली थी और इससे उनके कदाचार का प्रमाण मिलता है जो इतना गंभीर है कि उन्हें हटाया जाना चाहिए।

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की समिति ने 10 दिन तक जांच की, 55 गवाहों से पूछताछ की और 14 मार्च को रात लगभग 11.35 बजे न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक आवास पर अचानक आग लगने के स्थान का दौरा किया।

न्यायमूर्ति वर्मा उस समय दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे और अब इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कार्यरत हैं।

इस रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए, भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा


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