जम्मू, दो दिसंबर (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार को जम्मू की टाडा अदालत से रुबैया सईद के अपहरण से संबंधित 35 साल पुराने मामले में गिरफ्तार शफात अहमद शांगलू की हिरासत उसे देने का अनुरोध किया।
शांगलू को सोमवार को गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का अपहरण करने के मामले में प्रशासन ने शांगलू पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।
उस पर प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के सदस्यों द्वारा रची गई साजिश का कथित तौर पर हिस्सा होने का आरोप था। शांगलू को जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक का करीबी बताया जाता है।
सीबीआई के वकील एस के भट ने कहा, ‘‘उसे विशेष टाडा अदालत में पेश किया गया। हमने आरोपी की हिरासत देने का अनुरोध किया है।’’उन्होंने कहा कि अदालत के फैसले का इंतजार है।
सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा, “उक्त आरोपित शांगलू ने 1989 में रणबीर दंड संहिता और टाडा अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध को अंजाम देने में यासीन मलिक और अन्य के साथ मिलकर साज़िश रची थी।”
उन्होंने कहा, “भगोड़े पर 10 लाख रुपये का इनाम है। उसे कानून के अनुसार निर्धारित समय के भीतर टाडा अदालत जम्मू में पेश किया गया।”
अधिकारियों के अनुसार, शांगलू कथित तौर पर प्रतिबंधित आतंकवादी समूह का पदाधिकारी था और संगठन के वित्त का प्रबंधन करता था।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए श्रीनगर के निशात इलाके में स्थित शांगलू के आवास से उसे गिरफ्तार किया।
उन्होंने बताया कि आतंकी वित्तपोषण मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में सजा काट रहे मलिक को गृह मंत्रालय के आदेश के कारण अदालत में पेश नहीं किया जा रहा है। गृहमंत्रालय ने उसकी आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया है।
अदालती सुनवाई के दौरान रुबैया सईद ने मलिक के अलावा चार अन्य आरोपियों की पहचान बतौर अपराधी की थी।
आठ दिसंबर 1989 को श्रीनगर के एल. डी. अस्पताल के पास से रुबैया सईद का अपहरण कर लिया गया था। केंद्र की तत्कालीन भाजपा समर्थित वी.पी. सिंह सरकार द्वारा पांच आतंकवादियों को रिहा किये जाने पर अपहरण के पांच दिन बाद रुबैया को रिहा कर दिया गया था।
रुबैया सईद अब तमिलनाडु में रहती हैं। वह सीबीआई की अभियोजन पक्ष की गवाह हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी ने 1990 के दशक की शुरुआत में इस मामले को अपने हाथ में लिया था।
मुकदमे में तेजी से सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए सीबीआई ने तीन दशक से भी अधिक समय पहले श्रीनगर में सईद के अपहरण और भारतीय वायुसेना के चार कर्मियों के अपहरण और हत्या से संबंधित बहुचर्चित मामलों में मलिक के खिलाफ आरोप तय करने के बाद अपनी वरिष्ठ वकील मोनिका कोहली को मुख्य अभियोजक नियुक्त किया था।
मलिक (56) को पिछले साल मई में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए)के मामलों की एक विशेष अदालत ने सजा सुनाई थी। उसे एनआईए द्वारा दर्ज 2017 के आतंकी वित्तपोषण मामले में 2019 की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था।
आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (टाडा) मामलों की विशेष अदालत पहले ही रुबैया अपहरण मामले में मलिक और अन्य के खिलाफ आरोप तय कर चुकी है।
भाषा धीरज नरेश
नरेश