विदेशी नागरिक अधिनियम पर केंद्र का आदेश हास्यास्पद, चुनावी हथकंडा : ममता

विदेशी नागरिक अधिनियम पर केंद्र का आदेश हास्यास्पद, चुनावी हथकंडा : ममता

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  • Publish Date - September 4, 2025 / 06:43 PM IST,
    Updated On - September 4, 2025 / 06:43 PM IST

कोलकाता, चार सितंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत हाल के उस आदेश को लेकर बृहस्पतिवार को केंद्र पर निशाना साधा, जिसमें पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को वैध दस्तावेजों के बिना भारत में रहने की अनुमति दी गई है। उन्होंने इसे एक ‘‘चुनावी हथकंडा’’ करार दिया।

बंगाली प्रवासियों पर कथित अत्याचारों की निंदा करने संबंधी एक सरकारी प्रस्ताव पर पश्चिम बंगाल विधानसभा में चर्चा के दौरान बनर्जी ने दावा किया कि केंद्र का कदम आगामी चुनावों से पहले जनता को गुमराह करने के उद्देश्य से है। उन्होंने भाजपा पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए इस तरह की रणनीति का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘‘यह चुनावी हथकंडा के अलावा कुछ नहीं है, लेकिन इस बार यह काम नहीं करेगा।’’

बनर्जी ने कहा, ‘‘इस नए नियम पर संसद में कोई चर्चा नहीं हुई है। भाजपा ऐसे मामलों पर एकतरफा फैसला कैसे ले सकती है? ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा या विचार-विमर्श के लिए कोई चर्चा, बहस या संसदीय समितियां नहीं?’’

केंद्र के आदेश के निहितार्थ का उल्लेख करते हुए बनर्जी ने सवाल किया कि क्या बिना दस्तावेजों के रहने वालों को भी मतदान का अधिकार दिया जाएगा?

उन्होंने पूछा, ‘‘वे (सरकार) कह रहे हैं कि बिना दस्तावेजों के आए लोगों को रहने दिया जायेगा। तो क्या उन्हें चुनाव में वोट देने दिया जाएगा? क्या उन्हें आधार और राशन कार्ड मिलेंगे?’’

बनर्जी ने कहा, ‘‘क्या आप 2024 तक आने वालों को राशन, नागरिकता और संवैधानिक अधिकार प्रदान करेंगे? भाजपा को यह स्पष्ट करना होगा क्योंकि नए आदेश में इन प्रासंगिक मुद्दों के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं है।’’

उन्होंने सवाल किया कि भाजपा ने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे ‘‘झूठे वादे’’ किए थे, लेकिन वास्तव में कितने लोगों को नागरिकताएं दी गईं?

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए 31 दिसंबर, 2024 तक भारत आए अल्पसंख्यक समुदायों – हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई – के सदस्यों को पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेजों के बिना देश में रहने की अनुमति दी जाएगी।

पिछले वर्ष लागू हुए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के अनुसार, 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए इन उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के सदस्यों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी।

बनर्जी ने आव्रजन और नागरिकता जैसे संवेदनशील मुद्दों पर केंद्र की मनमानी और एकतरफा निर्णय लेने की प्रक्रिया पर अपना कड़ा विरोध जताया।

उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी को भी नागरिकों के अधिकार छीनने नहीं देंगे। हम रामकृष्ण (परमहंस), नेताजी (सुभाष चंद्र बोस) और रवींद्रनाथ (टैगोर) के आदर्शों पर चलते हैं। उन्होंने हमें रास्ता दिखाया है और हम उससे एक कदम भी नहीं भटकेंगे।’’

अपने भाषण के दौरान उठाए गए एक अन्य मुद्दे में बनर्जी ने कहा कि जीएसटी परिषद द्वारा हाल में व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा, कॉर्न फ्लेक्स और टेलीविजन समेत आम तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं की एक विस्तृत श्रृंखला पर कर दरों में कटौती का निर्णय पिछले कई वर्षों से उनके ‘‘बार-बार किए गए विरोध’’ का परिणाम है।

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठकों में उठाई गई अपनी पिछली मांगों को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैंने मांग की थी कि बीमा को जीएसटी से छूट दी जाए। उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया।’’

उनकी यह टिप्पणी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा यह घोषणा किए जाने के एक दिन बाद आई है कि जीएसटी परिषद ने माल एवं सेवा कर व्यवस्था में व्यापक बदलाव को मंजूरी दे दी है।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव