चंद्रयान-2 : उम्मीद के 10 दिन, अंतिम क्षणों में कैसे बदली लैंडर की दिशा | Chandrayaan-2: 10 Days of Expectation How the lander's direction changed in the last moments

चंद्रयान-2 : उम्मीद के 10 दिन, अंतिम क्षणों में कैसे बदली लैंडर की दिशा

चंद्रयान-2 : उम्मीद के 10 दिन, अंतिम क्षणों में कैसे बदली लैंडर की दिशा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:50 PM IST, Published Date : September 11, 2019/7:34 am IST

नई दिल्ली । इसरो को अपना यान चंद्रमा पर उतारने में अपेक्षा के अनुरुप सफलता नहीं मिली है, हालांकि वैज्ञानिक की उम्मीदें अभी खत्म नहीं हुईं हैं। विक्रम लैंडर को चांद पर उतारने के लिए चंद्रयान-2 की रफ्तार 15 मिनिट में 6048 किलोमीटर प्रति घंटा से घटाकर 7 किलोमीटर प्रति घंटा या उससे भी कम की जानी थी।

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सब कुछ योजनानुसार चल रहा था, लेकिन 13वें मिनट में ही संचार संपर्क टूट गया। बैंगलुरु में इसरो के नियंत्रण कक्ष में वैज्ञानिकों को डाटा मिलना बंद हो गया। वैज्ञानिक उस कदम में सफल नहीं हो सके जिसमें विक्रम लैंडर की रफ्तार को उस हद तक कम नहीं किया जा सका जिससे चांद पर उसकी सॉफ्ट लैंडिंग कराई जा सके।

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6-7 सितंबर की मध्य रात में 1.38 बजे विक्रम की असली परीक्षा शुरु हुई। रात तकरीबन 1.51 पर उससे संपर्क टूट गया। जिस वक्त विक्रम से संपर्क टूटा वह चांद की धरती से केवल 2.1 किलोमीटर दूर था। पीएम मोदी उस समय इसरो के नियंत्रण कक्ष में ही मौजूद थे। संपर्क टूटने की जानकारी इसरो चेयरमैन के. सिवन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी।

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वैज्ञानिकों के तय कार्यक्रम के अनुसार विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को 14 दिन चांद की सतह पर रख कर आंकड़े जुटाने थे। चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर अपनी कक्षा में घूम रहा है,ये कंट्रोल रूम को सिग्नल भेज रहा है। वैज्ञानिकों ने इस आर्बिटर के अधिकतम 7 साल तक चंद्रमा की कक्षा में परिक्रमा करने की संभावना जताई है।

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बता दें कि विक्रम लैंडर ने भी रफ्तार कम करने के लिए वैज्ञानिकों ने उसकी गति की दिशा में चार थ्रस्टर्स सफलतापूर्वक फायर किए थे। संपर्क टूटने से पहले विक्रम ने परवलायाकार रास्ते पर करीब 585 किलोमीटर का फासला तय किया। चांद की सतह पर उतरने से पहले होवर को लैंडिंग के लिए सही जगह तलाशना था। कुछ ही सेकंड में यह प्रक्रिया होने वाली थी, पर उससे पहले ही संचार संपर्क टूट गया और कोशिश नाकामयाब हुई। पूरी दुनिया ने इसरो के इस मिशन की तारीफ की है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि शेष बचे 10 दिनों में वो लैंडर पर वापस नियंत्रण पा लेंगे।

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