सूर्य उपासना का पर्व छठ पूजा ,घर आएगी सुख,शांति और समृद्धि

सूर्य उपासना का पर्व छठ पूजा ,घर आएगी सुख,शांति और समृद्धि

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  • Publish Date - November 13, 2018 / 04:03 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:20 PM IST

रायपुर। सनातन धर्म के पांच प्रमुख देवताओं में सूर्यनारायण यानी भगवान भास्कर प्रत्यक्ष देवता हैं। वाल्मीकि रामायण में आदित्य हृदय स्तोत्र के द्वारा सूर्यदेव का जो स्तवन किया गया है, उससे उनके सर्वदेवमय- सर्वशक्तिमयस्वरूप का बोध होता है। छठ पर्व सूर्योपासना का अमोघ अनुष्ठान है। कहते हैं इससे समस्त रोग-शोक, संकट और शत्रु नष्ट होते हैं और संतान का कल्याण होता है।

भैया दूज के दूसरे दिन शुरू होने वाले इस चार दिवसीय पर्व के बारे में मान्यता है कि पारिवारिक सुख-समृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है। छठ देवी भगवान भास्कर की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए, इन्हें साक्षी मानकर कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को भगवान सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या तालाब के किनारे अर्घ्य दिया जाता है। प्राचीन काल से ही इसे बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में ही मनाया जाता रहा है। लेकिन आज इसे प्रान्त के लोग दुनिया में जहां भी रहते हैं वहां इस पर्व को उसी श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है। षष्ठी तिथि के दिन शाम के समय डूबते सूर्य की पूजा करके उन्हें फल एवं पकवानों का अर्घ्य दिया जाता है। जबकि सप्तमी तिथि को उदय कालीन सूर्य की पूजा होती है। दोनों तिथियों में छठ पूजा होने के बावजूद षष्ठी तिथि को प्रमुखता प्राप्त है क्योंकि इस दिन डूबते सूर्य की पूजा होती है।