Chhath Puja 2025: छठ पूजा… आस्था, अनुशासन और सूर्य उपासना का अनोखा संगम, जानिए कब और कैसे मनाया जाएगा ये चार दिन का दिव्य पर्व…

भारत में त्योहार केवल परंपरा नहीं, बल्कि आस्था और संस्कृति का जीवंत प्रतीक हैं। इन्हीं में से एक सबसे पवित्र और श्रद्धा से भरा पर्व है, छठ पूजा, जिसे सूर्य उपासना का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है।

Chhath Puja 2025: छठ पूजा… आस्था, अनुशासन और सूर्य उपासना का अनोखा संगम, जानिए कब और कैसे मनाया जाएगा ये चार दिन का दिव्य पर्व…

chhath puja 2025/ image source: IBC24

Modified Date: October 24, 2025 / 02:15 pm IST
Published Date: October 24, 2025 2:15 pm IST
HIGHLIGHTS
  • छठ पूजा 2025 की शुरुआत 25 अक्टूबर से और समापन 28 अक्टूबर को होगा।
  • चार दिवसीय पर्व, नहाय खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और ऊषा अर्घ्य का विशेष महत्व।
  • महिलाएं परिवार और संतान की लंबी आयु के लिए रखती हैं यह कठिन व्रत।

Chhath Puja 2025: भारत में त्योहार केवल परंपरा नहीं, बल्कि आस्था और संस्कृति का जीवंत प्रतीक हैं। इन्हीं में से एक सबसे पवित्र और श्रद्धा से भरा पर्व है, छठ पूजा, जिसे सूर्य उपासना का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। यह पर्व खास तौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल छठ पूजा 2025 की शुरुआत 25 अक्टूबर, शनिवार से होगी और समापन 28 अक्टूबर, मंगलवार को होगा। चलिए इस खबर में आपको विस्तार से बताते हैं किस दिन कौनसी मान्यता होती है।

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छठ पूजा के चार पवित्र दिन में से पहला दिन  

Chhath Puja 2025: छठ पूजा की शुरुआत होती है “नहाय-खाय” से, जो पहला दिन होता है। इस दिन व्रती प्रातःकाल किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करती हैं और शुद्ध भोजन ग्रहण करके व्रत की शुरुआत करती हैं। इस दिन सूर्यदेव की आराधना और आत्मशुद्धि का संकल्प लिया जाता है।

दूसरा दिन इसलिए खास

दूसरा दिन होता है “खरना” या “लोहंडा”। यह दिन पूर्ण निर्जला उपवास का प्रतीक है। व्रती पूरे दिन बिना जल ग्रहण किए व्रत रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से गुड़ की खीर (रसिया) और घी की रोटी बनाकर सूर्यदेव को अर्पित करती हैं। यही प्रसाद सबसे पहले व्रती ग्रहण करती हैं, जिसके बाद अगले 36 घंटे तक अन्न-जल का त्याग कर दिया जाता है।

संध्या अर्घ्य इसलिए खास

तीसरा दिन होता है “संध्या अर्घ्य”, जो छठ पूजा का सबसे मनमोहक और भावनात्मक क्षण होता है। ढलते हुए सूरज को अर्घ्य देने का यह क्षण सामूहिक श्रद्धा और एकता का दृश्य प्रस्तुत करता है। नदी किनारे दीपों की रोशनी, लोक गीतों की गूंज और अर्घ्य देने का दृश्य एक दिव्य वातावरण बना देता है।

चौथा और आखिरी दिन होता है “ऊषा अर्घ्य”, जब व्रती उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार की सुख-समृद्धि और संतान के कल्याण की कामना करते हैं। यह अर्घ्य जीवन की नई शुरुआत, प्रकाश और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करती हैं।

छठ पूजा का महत्व और आध्यात्मिक अर्थ

Chhath Puja 2025: छठ पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य का उत्सव है। सूर्य देव को जीवनदायी शक्ति माना जाता है, जो प्रकाश, ऊर्जा और स्वास्थ्य के प्रतीक हैं। छठ मईया, जिन्हें प्रकृति की देवी कहा जाता है, संतान की रक्षा और परिवार की खुशहाली का आशीर्वाद देती हैं। छठ पूजा का सबसे सुंदर पहलू इसका शुद्धता और अनुशासन है। इसमें कोई दिखावा नहीं होता, बल्कि पूरी आस्था, निष्ठा और पवित्रता से व्रत किया जाता है। हर वर्ष यह पर्व हमें याद दिलाता है कि सच्ची भक्ति वही है, जिसमें त्याग, संयम और समर्पण हो।

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सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

पत्रकारिता और क्रिएटिव राइटिंग में स्नातक हूँ। मीडिया क्षेत्र में 3 वर्षों का विविध अनुभव प्राप्त है, जहां मैंने अलग-अलग मीडिया हाउस में एंकरिंग, वॉइस ओवर और कंटेन्ट राइटिंग जैसे कार्यों में उत्कृष्ट योगदान दिया। IBC24 में मैं अभी Trainee-Digital Marketing के रूप में कार्यरत हूँ।