छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: पूर्व आबकारी आयुक्त समेत अन्य की 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां जब्त

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: पूर्व आबकारी आयुक्त समेत अन्य की 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां जब्त

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  • Publish Date - December 30, 2025 / 07:52 PM IST,
    Updated On - December 30, 2025 / 07:52 PM IST

नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को कहा कि उसने छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास, 30 अन्य आबकारी अधिकारियों और शराब बनाने वाली कुछ प्रमुख फैक्टरी की 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को जब्त किया है।

यह कार्रवाई राज्य में पिछली कांग्रेस नीत सरकार के दौरान हुए कथित 2,800 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की जांच के तहत की गई है।

ईडी ने आरोप लगाया कि राज्य के वरिष्ठ नौकरशाहों और राजनीतिक हस्तियों से जुड़े एक ‘‘आपराधिक’’ गिरोह ने 2019 और 2023 के बीच छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग को ‘‘पूरी तरह से अपने नियंत्रण में ले लिया।’’

ईडी ने बताया कि अस्थायी रूप से जब्त की गई 78 संपत्तियों में लग्जरी बंगले, आलीशान आवासीय परिसर में फ्लैट, व्यावसायिक दुकान की जगहें और कृषि भूमि के साथ ही 197 निवेश भी शामिल हैं। निवेश में फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी), कई बैंक खातों में जमा राशि, जीवन बीमा पॉलिसियां ​​और इक्विटी शेयर और म्यूचुअल फंड का एक विविध पोर्टफोलियो शामिल है।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि 38.21 करोड़ रुपये की ये संपत्तियां दास और 30 अन्य आबकारी अधिकारियों की हैं। बयान में कहा गया, ‘‘यह जब्ती राज्य के राजस्व की रक्षा करने के लिए नियुक्त अधिकारियों की गहरी मिलीभगत को उजागर करती है।’’

ईडी ने कहा कि 68.16 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों का दूसरा समूह छत्तीसगढ़ स्थित तीन प्रमुख शराब फैक्टरी छत्तीसगढ़ डिस्टिलरीज लिमिटेड, भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और वेलकम डिस्टिलरीज प्राइवेट लिमिटेड से संबंधित है।

ईडी ने दावा किया कि दास और अरुण पति त्रिपाठी (जो उस समय छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक थे) ने एक समानांतर आबकारी व्यवस्था का नेतृत्व किया, जिसने राज्य के नियंत्रणों को दरकिनार करते हुए भारी मात्रा में अवैध कमाई की।

ईडी ने 26 दिसंबर को इस मामले में एक नया आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें 2019-2023 के बीच आबकारी विभाग के भीतर किए गए ‘बड़े पैमाने पर’ भ्रष्टाचार का विवरण दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप 2,883 करोड़ रुपये की अपराध की आय उत्पन्न हुई।

ईडी ने कहा, ‘‘जांच से एक सुनियोजित आपराधिक गिरोह का खुलासा हुआ, जिसने अवैध कमीशन और बेहिसाब शराब की बिक्री से जुड़े एक बहुस्तरीय तंत्र के माध्यम से व्यक्तिगत लाभ के लिए राज्य की शराब नीति का उल्लंघन किया।’’

इस मामले में ईडी द्वारा दाखिल आरोप पत्रों में कुल 81 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, पूर्व संयुक्त सचिव और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी अनिल टुटेजा, पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और मुख्यमंत्री कार्यालय में पूर्व उप सचिव सौम्या चौरसिया शामिल हैं।

ईडी के अनुसार, रायपुर के महापौर और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर, शराब बनाने वाली तीनों फैक्टरी और कुछ अन्य निजी व्यक्तियों को भी आरोपी बनाया गया है।

ईडी ने दावा किया कि उसकी जांच में राज्य की तत्कालीन प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था में अवैध वित्तीय लाभ के लिए एक ‘गहरी साजिश’ का पता चला।

जांच एजेंसी ने कहा कि चैतन्य बघेल और लखमा को ‘नीतिगत मंजूरी देने’ और अपने व्यवसायों/रियल एस्टेट परियोजनाओं में कथित अवैध धन प्राप्त करने/इस्तेमाल करने में उनकी भूमिका के लिए आरोपी बनाया गया।

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप