अंबिकापुर, 17 अक्टूबर (भाषा) छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में प्रस्तावित परसा कोयला खदान के लिए पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे ग्रामीणों और पुलिसकर्मियों के बीच बृहस्पतिवार को झड़प हो गई, जिसमें राजस्व विभाग के कर्मियों सहित कई पुलिसकर्मी घायल हो गये। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
पुलिस ने दावा किया कि ग्रामीणों द्वारा किए गए हमले में आठ पुलिसकर्मी और राजस्व विभाग के दो कर्मचारी घायल हुए।
वहीं विरोध कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया।
सरगुजा संभाग के जैव विविधता से भरपूर हसदेव अरंड क्षेत्र में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को आवंटित परसा कोयला खदान के लिए पेड़ों की कटाई शुक्रवार से घाटबर्रा गांव के पास शुरू होनी है, जिसके लिए बृहस्पतिवार को लगभग चार सौ पुलिस और राजस्व कर्मियों को तैनात किया गया था।
सरगुजा जिले के पुलिस अधीक्षक योगेश पटेल ने बताया कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए इलाके में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
पुलिस और राजस्व अधिकारियों द्वारा शांत किए जाने के बावजूद ग्रामीण कुल्हाड़ी, धनुष-बाण और लाठी जैसे पारंपरिक हथियारों के साथ मौके पर पहुंचे और हमला कर दिया।
पटेल ने बताया, “हमले में आठ पुलिसकर्मी, एक उपजिलाधिकारी और एक कोटवार (राजस्व कर्मचारी) घायल हो गए।”
उन्होंने बताया, “” स्थानीय व्यक्ति रामलाल कडियाम को भी चोटें आईं लेकिन यह पुलिस द्वारा नहीं पहुंचाई गई। रामलाल के शरीर पर धारदार हथियार के निशान थे और पुलिस के पास ऐसा कोई हथियार नहीं था।”
पुलिस अधिकारी ने बताया कि इलाके में स्थिति नियंत्रण में है।
झड़प से जुड़े एक वीडियो में बड़ी संख्या में ग्रामीण लाठी, कुल्हाड़ी और धनुष-बाण लिए हुए दिखाई दे रहे हैं जबकि मौके पर बड़ी संख्या में तैनात पुलिसकर्मियों को भी देखा जा सकता है।
इस बीच हसदेव क्षेत्र में कोयला खदानों के आवंटन का विरोध कर रहे छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (सीबीए) ने दावा किया कि पुलिस ने ग्रामीणों पर लाठीचार्ज किया।
सीबीए के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा, “सीबीए, राजस्थान को कोयला आपूर्ति करने और अडानी के कारोबार का विस्तार करने के लिए हसदेव जंगल में एक नई खदान (परसा कोल ब्लॉक) को जबरन खोलने के लिए निहत्थे ग्रामीणों पर लाठीचार्ज और दमनकारी कार्रवाई की कड़ी निंदा करता है।”
उन्होंने दावा किया कि लाठीचार्ज में कई ग्रामीण घायल हुए हैं।
आरआरवीयूएनएल ने परसा खदान का एमडीओ (माइन डेवलपर कम ऑपरेटर) अदाणी समूह को दे दिया है।
उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ विधानसभा ने 2022 में (पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान) सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था कि हसदेव क्षेत्र में खनन गतिविधियां नहीं की जाएंगी।”
शुक्ला ने दावा किया कि पारिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील हसदेव अरंड क्षेत्र में खनन से 1,70,000 हेक्टेयर जंगल नष्ट हो जाएगा और मानव-हाथी संघर्ष शुरू हो जाएगा।
उन्होंने कहा, “हम वनों की कटाई पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हैं।”
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी प्रदर्शनकारियों पर कथित पुलिस कार्रवाई को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की।
उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, “ पूरे देश में आदिवासियों पर अत्याचार करना भाजपा की नीति बन गई है। जो आदिवासी सदियों से जंगलों के मालिक हैं, उन्हें बेदखल किया जा रहा है ताकि अदाणी की खदानें चल सकें।”
उन्होंने पूछा, “क्या छत्तीसगढ़ में संविधान की पांचवी अनुसूची के क्षेत्र समाप्त कर दिये गये हैं?”
प्रियंका ने कहा, “संरक्षित क्षेत्र से आदिवासियों को बेदखल किया जा रहा है। क्या आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन के अधिकार और पुरखों की विरासत का फैसला फर्जी प्रक्रियाओं के जरिये होगा?”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ नहीं काटे जाएंगे और भाजपा ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया था लेकिन आज आदिवासियों के विरोध के बावजूद जंगल खाली करने को कहा जा रहा है और विरोध करने पर आदिवासी भाई-बहनों पर अत्याचार किया जा रहा है।
भाषा सं संजीव जितेंद्र
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