Congress opposes new labor code: केंद्र सरकार के नए लेबर कानून के विरोध में उतरी कांग्रेस, बताया ‘राष्ट्र विरोधी’.. कहा, ‘नहीं करेंगे समर्थन’

Congress opposes new labor code: एक्स पर एक पोस्ट में जयराम रमेश ने पूछा कि क्या ये संहिताएं श्रमिक न्याय के लिए भारत के श्रमिकों की पांच आवश्यक मांगों को वास्तविकता बनाती हैं?

Congress opposes new labor code: केंद्र सरकार के नए लेबर कानून के विरोध में उतरी कांग्रेस, बताया ‘राष्ट्र विरोधी’.. कहा, ‘नहीं करेंगे समर्थन’

Congress opposes new labor code || Image- IBC24 News File

Modified Date: November 23, 2025 / 11:33 am IST
Published Date: November 23, 2025 11:30 am IST
HIGHLIGHTS
  • कांग्रेस ने नए लेबर कोड का विरोध किया
  • यूनियन बनाने पर लगाए प्रावधानों की आलोचना
  • जयराम रमेश ने सरकार पर कटाक्ष किया

Congress opposes new labor code: तिरुवनंतपुरम: कांग्रेस ने रविवार को केंद्र द्वारा पेश किए गए चार नए श्रम संहिताओं की आलोचना की है। कांग्रेस ने इसे “राष्ट्र-विरोधी” करार देते हुए कहा है कि, पार्टी इसका समर्थन नहीं करेगी।

Congress on New Labor Code 2025: “यूनियन बनाना मज़दूरों का अधिकार” : कांग्रेस

कांग्रेस के दिग्गज नेता मुरलीधरन ने दावा किया कि नई संहिताओं के तहत, मज़दूर तभी कोई संगठन बना सकते हैं जब उसके कम से कम 10 प्रतिशत सदस्य उसमें शामिल हों। उन्होंने इस प्रावधान को ग़लत बताते हुए कहा कि यूनियन बनाना मज़दूरों का अधिकार है।

कांग्रेस नेता ने एएनआई से कहा, “अगर कोई मजदूर संगठन बना सकता है, तो कम से कम 10 प्रतिशत सदस्य संगठन का हिस्सा होने चाहिए। यह सही नहीं है। संगठन बनाना उनका अधिकार है। वे कारखानों के मालिकों को प्रोत्साहित कर रहे हैं और प्रबंधन का पूरा समर्थन कर रहे हैं। पूरे भारत में अधिकांश प्रबंधन से श्रमिकों को न्याय नहीं मिल रहा है। इसका असर केरल पर भी पड़ रहा है। यह राष्ट्र-विरोधी है और हम इसका समर्थन नहीं करेंगे।”

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Labor Code 2025 Opposition: 21 नवम्बर से लागू हुआ नया लेबर कोड

Congress opposes new labor code: केंद्र द्वारा लागू चार संहिताओं में से एक, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 के अनुसार, 51 प्रतिशत सदस्यता वाले ट्रेड यूनियनों को वार्ताकार संघ के रूप में मान्यता प्राप्त है। केंद्र के अनुसार, इस तरह की व्यवस्था सामूहिक सौदेबाजी को मज़बूत बनाती है। संहिता ने हड़ताल की परिभाषा का भी विस्तार किया, जिसमें “सामूहिक आकस्मिक अवकाश को भी इसके दायरे में” शामिल किया गया, ताकि अचानक हड़ताल को रोका जा सके और वैध कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
गृह मंत्रालय के अनुसार, केंद्र सरकार ने चार श्रम संहिताएं, वेतन संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020, लाई हैं, जो 21 नवंबर को लागू हुईं और 29 मौजूदा श्रम कानूनों को युक्तिसंगत बनाया गया।

Congress vs Labor Reforms 2025: जयराम रमेश ने भी की आलोचना

इससे पहले शनिवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 29 मौजूदा श्रम-संबंधी कानूनों को चार संहिताओं में बदल दिया गया है और इसे क्रांतिकारी सुधार के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, जबकि नियमों को अभी तक अधिसूचित भी नहीं किया गया है।

Congress opposes new labor code: एक्स पर एक पोस्ट में जयराम रमेश ने पूछा कि क्या ये संहिताएं श्रमिक न्याय के लिए भारत के श्रमिकों की पांच आवश्यक मांगों को वास्तविकता बनाती हैं? उन्होंने कहा, “मनरेगा सहित 400 रुपये प्रतिदिन की राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी, 25 लाख रुपये का सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने वाला स्वास्थ्य अधिकार कानून, शहरी क्षेत्रों के लिए रोजगार गारंटी अधिनियम, जीवन बीमा और दुर्घटना बीमा सहित सभी असंगठित श्रमिकों के लिए व्यापक सामाजिक सुरक्षा और प्रमुख सरकारी कार्यों में रोजगार के ठेकाकरण को रोकने की प्रतिबद्धता।” जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार को कर्नाटक की कांग्रेस सरकार और राजस्थान की पूर्ववर्ती सरकार के उदाहरणों से सीखना चाहिए , “जिन्होंने नए कोड से पहले अपने अभूतपूर्व गिग वर्कर कानूनों के साथ 21वीं सदी के लिए श्रम सुधार का बीड़ा उठाया था।”

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