कांग्रेस नेताओं ने प्रणब मुखर्जी की किताब पूरी तरह पढ़े बगैर टिप्पणी करने से इंकार किया

कांग्रेस नेताओं ने प्रणब मुखर्जी की किताब पूरी तरह पढ़े बगैर टिप्पणी करने से इंकार किया

कांग्रेस नेताओं ने प्रणब मुखर्जी की किताब पूरी तरह पढ़े बगैर टिप्पणी करने से इंकार किया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:33 pm IST
Published Date: December 13, 2020 1:24 pm IST

बेंगलुरू, 13 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी की नई किताब को पूरी तरह पढ़े बगैर टिप्पणी करना सही नहीं है। किताब में पार्टी को लेकर आलोचनात्मक विचार पेश किया गया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने कहा कि किताब का अभी तक विमोचन नहीं हुआ है और समझना होगा कि मुखर्जी ने किस परिप्रेक्ष्य में ये बातें लिखी हैं। मोइली मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार का हिस्सा थे।

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘जब तक पूरी तरह किताब को नहीं पढ़ते हैं, मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं।’’

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प्रकाशक ‘रूपा बुक्स’ ने शुक्रवार को घोषणा की कि जनवरी 2021 में ‘‘द प्रेसीडेंशियल ईयर्स’’ का वैश्विक स्तर पर विमोचन किया जाएगा।

पूर्व राष्ट्रपति ने पुस्तक में कांग्रेस के बारे में आलोचनात्मक विचार पेश किए हैं, जिसमें वह पांच दशकों से ज्यादा समय तक वरिष्ठ नेता रहे।

मुखर्जी ने पार्टी नेताओं के इन विचारों का जोरदार खंडन किया है कि अगर वह 2004 में प्रधानमंत्री बनते तो 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी हार को टाल देती।

रूपा की तरफ से जारी किताब के कुछ अंश में उन्होंने लिखा है, ‘‘मैं इस विचार को नहीं मानता, मेरा मानना है कि मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद पार्टी नेतृत्व ने राजनीतिक फोकस खो दिया। सोनिया गांधी जहां पार्टी मामलों को देखने में विफल हो गईं, वहीं सदन से लंबे समय तक अनुपस्थित रहने से डॉ. सिंह ने अन्य सांसदों से व्यक्तिगत संपर्क खो दिया।’’

प्रकाशक के मुताबिक, इस किताब में बंगाल के एक सुदूर गांव में लैंप की रोशनी में पलने-बढ़ने से लेकर राष्ट्रपति भवन में भारत के प्रथम नागरिक के तौर पर उनकी यात्रा का वर्णन है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी कहा कि टिप्पणी करने से पहले किताब को पूरी तरह पढ़ने की जरूरत है।

खुर्शीद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘…इतना व्यापक अनुभव वाला कोई व्यक्ति अगर कुछ लिखता है तो पूरा पढ़ने की जरूरत है कि किस परिप्रेक्ष्य में ऐसा लिखा गया है।’’

भाषा नीरज नीरज दिलीप

दिलीप


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