पराली जलाने की समस्या से निजात पाने के लिए बायो-डिकम्पोजर के छिड़काव पर विचार करें: राय

पराली जलाने की समस्या से निजात पाने के लिए बायो-डिकम्पोजर के छिड़काव पर विचार करें: राय

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  • Publish Date - November 24, 2020 / 09:28 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:29 PM IST

नयी दिल्ली, 24 नवंबर (भाषा) दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा हाल में गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से अनुरोध किया कि वह पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए वहां पूसा के बायो-डिकम्पोजर के छिड़काव पर विचार करे।

यहां एक संवाददाता सम्मेलन में राय ने कहा कि 15 सदस्यीय प्रभाव आकलन समिति ने राजधानी में पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिहाज से भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा द्वारा विकसित बायो-डिकम्पोजर के घोल की प्रभावशीलता का पता लगाया है तथा इस संबंध में जानकारी सोमवार को पर्यावरण मंत्रालय के ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और नजदीक के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग’ को भेजी गई है।

राय ने बताया कि आयोग को सूचित किया गया है कि बायो-डिकम्पोजर का इस्तेमाल राष्ट्रीय राजधानी में 2,000 एकड़ भूमि पर किया गया तथा इसने फसलों के 90-95 अवशेष (पराली) को 15-20 दिन के भीतर खाद में बदल दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘पराली जलाने की घटनाओं के कारण बीते 15 दिन से कोविड-19 के मामले बढ़े हैं। पराली जलाने के कारण दिल्ली की हवा जहरीली हो गई है। हमें इस समस्या का स्थायी हल खोजना होगा क्योंकि अब हम और जिंदगियों को खतरे में नहीं डाल सकते हैं।’’

राय ने कहा, ‘‘वायु गुणवत्ता आयोग से हमारा अनुरोध है कि दिल्ली में बायो-डिकम्पोजर की सफलता को देखते हुए वह हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में इसका छिड़काव करवाए।’’

पूसा संस्थान के वैज्ञानिकों के मतुाबिक यह घोल फसल अवशेष को पंद्रह से बीस दिन के भीतर खाद में बदल देता है और इस तरह पराली जलाने की समस्या से निजात मिल सकती है।

भाषा

मानसी नरेश

नरेश