Contract Employees Regularization Latest News: संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दे दी उम्र भर की खुशियां

Contract Employees Regularization Latest News: संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दे दी उम्र भर की खुशियां

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  • Publish Date - June 25, 2025 / 04:34 PM IST,
    Updated On - June 25, 2025 / 04:34 PM IST

Contract Employees News Today: संविदा कर्मचारियों ने नियमितीकरण सहित इन मांगों को लेकर खोला मोर्चा / Image Source: IBC24 Customized

HIGHLIGHTS
  • संविदा कर्मचारी होंगे स्थायी
  • ठेका व आउटसोर्सिंग, भर्ती से बचने का जरिया
  • कर्मचारी नियमपूर्वक पदों पर कार्यरत थे

बेंगलुरु: Contract Employees Regularization Latest News संविदा कर्मचारियों ने नियमितीकरण की मांग को लेकर देश के कई राज्यों में मोर्चा खोल रखा है। उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में संविदा कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन इस बीच कर्नाटक हाईकोर्ट ने संविदा कर्मचारियों को पर्मानेंट करने का आदेश दिया है। बताया जा रहा है कि ये सभी कर्मचारी पिछले 28 साल से अपनी सेवा दे रहे थे।

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Contract Employees Regularization Latest News मामले में सुनवाई न्यायमूर्ति एस सुनील दत्त यादव ने की। कोर्ट ने भगवान दास और 15 अन्य द्वारा दायर याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए आदेश जारी किया। याचिकाकर्ता वाल्वमैन और पंप ऑपरेटर के रूप में काम करते थे। राज्य सरकार द्वारा 2006 में ठेका श्रम प्रणाली को समाप्त करने के बाद, उन्होंने एक सेवा प्रदाता एजेंसी के माध्यम से अपनी सेवाएं जारी रखीं। 28 जुलाई, 2016 को, इसी तरह के 79 ठेका श्रमिकों की सेवाओं को नियमित किया गया, जिससे याचिकाकर्ताओं ने नगर निगम से उन्हें लाभ देने का अनुरोध किया। जब उनका अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया, तो उन्होंने डिप्टी कमिश्नर से संपर्क किया।

वहीं, 12 दिसंबर, 2019 को, उनके अनुरोध को डिप्टी कमिश्नर ने खारिज कर दिया। इसके बाद, याचिकाकर्ताओं ने उमादेवी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर अपनी सेवाओं को नियमित करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। न्यायमूर्ति सुनील दत्त यादव ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने एक ठेकेदार के माध्यम से वैधानिक प्राधिकरण को सेवाएं प्रदान कीं, जिसे आउटसोर्स एजेंसी के रूप में जाना जाता है।

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न्यायाधीश ने आगे कहा कि ये ठेका कर्मचारी नगर निगम में भर्ती प्रतिबंध के कारण स्वीकृत पदों के विरुद्ध काम कर रहे थे। न्यायाधीश ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से ठेका श्रम और आउटसोर्सिंग को सीधी भर्ती से बचने के तरीकों के रूप में मान्यता दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता केवल सेवा की निरंतरता के हकदार होंगे, और उनकी सेवा अवधि सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों में गिनी जाएगी। न्यायमूर्ति यादव ने निष्कर्ष निकाला कि नियमितीकरण आदेश उस तारीख से प्रभावी होगा जब उन्होंने 10 साल की सेवा पूरी की थी।

क्या कर्नाटक हाईकोर्ट का आदेश सभी संविदा कर्मचारियों पर लागू होता है?

नहीं, यह आदेश विशेष रूप से भगवान दास और 15 अन्य याचिकाकर्ताओं के मामले में दिया गया है। लेकिन यह संविदा कर्मचारी नियमितीकरण के लिए मिसाल बन सकता है।

कोर्ट ने नियमितीकरण की क्या शर्त रखी है?

कोर्ट ने कहा कि जिन कर्मचारियों ने कम से कम 10 वर्ष की सेवा पूरी की है, उन्हें नियमित माना जाएगा।

क्या नियमितीकरण से उन्हें पेंशन और अन्य रिटायरमेंट लाभ मिलेंगे?

जी हां, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संविदा कर्मचारी नियमितीकरण के बाद सेवा की गणना सेवानिवृत्ति लाभों के लिए की जाएगी।

क्या बाकी संविदा कर्मचारी अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं?

हां, यह फैसला एक प्रेरणास्रोत बन सकता है, जिससे अन्य संविदा कर्मचारी भी समान आधार पर याचिका दायर कर सकते हैं।

यह आदेश कब से प्रभावी माना जाएगा?

यह आदेश उस दिन से प्रभावी होगा, जब याचिकाकर्ता ने 10 साल की सेवा पूरी की थी, यानी सेवा की निरंतरता को उसी दिन से मान्यता मिलेगी।