Contract Employees Regularization: नहीं होगा संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण, हाईकोर्ट ने कहा- किसी शर्त में नहीं कर सकते पर्मानेंट, बताई ये वजह | contractual employees regularisation not Possible

Contract Employees Regularization: नहीं होगा संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण, हाईकोर्ट ने कहा- किसी शर्त में नहीं कर सकते पर्मानेंट, बताई ये वजह

Contract Employees Regularization: नहीं होगा संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण, हाईकोर्ट ने कहा- किसी शर्त में नहीं हो सकते पर्मानेंट

Edited By :   Modified Date:  March 25, 2024 / 12:59 PM IST, Published Date : March 25, 2024/12:58 pm IST

जम्मू: Contract Employees Regularization लंबे समय से नियमितीकरण का इंतजार कर रहे अनियमित और संविदा कर्मचारियों को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने एक कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीधे कह दिया कि किसी भी शर्त पर नियमितीकरण नहीं हो सकता है। बता दें कि कई राज्यों में इन दिनों संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का मुद्दा गरमाया हुआ है और कई राज्यों के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन भी किया था।

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Contract Employees Regularization मिली जानकारी के अनुसार याचिकाकर्ता तसलीम आरिफ को 12 मई 2008 को पीएचई मंत्री की सिफारिश पर संविदा के तौर पर नियुक्ति की गई थी। वहीं, एक साल नौकरी करवाने के बाद तसलीम आरिफ को साल 2009 में सेवा मु​क्त कर दिया गया। हालांकि वेतन बंद होने के कारण उसने प्रतिवादी के समक्ष अभ्यावेदन दिया था। उसने जम्मू-कश्मीर सिविल सेवा (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2010 के तहत वेतन जारी करने और उसकी सेवाओं के नियमितीकरण के लिए रिट याचिका दायर की। 28 दिसंबर 2011 को रिट याचिका का निपटारा कर उसकी सेवाओं के नियमितीकरण के लिए दावे पर विचार करने का निर्देश दिया और अर्जित राशि जारी करने को कहा। हालांकि इसके बाद याचिकाकर्ता को वेतन जारी किया, लेकिन सेवा नियमितीकरण पर कोई फैसला नहीं लिया। इस पर उसने दोबारा रिट याचिका दायर की।

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दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति रजनेश ओसवाल ने कहा कि अस्थायी आधार पर नियुक्ति के कारण अन्य पात्र उम्मीदवारों को चयन प्रक्रिया में भाग लेने के अवसर से वंचित कर दिया गया है। इसमें संदेह नहीं है कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति बिना किसी चयन प्रक्रिया के केवल तत्कालीन मंत्री की अनुशंसा पर की गई है। अन्यथा यह स्थापित कानून है कि एक बार जब किसी उम्मीदवार की प्रारंभिक नियुक्ति सक्षम प्राधिकारी द्वारा नहीं की जाती है तो उसकी सेवाओं को नियमित नहीं किया जा सकता है। इन टिप्पणियों के साथ उच्च न्यायालय ने वर्तमान याचिका खारिज कर दिया।

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