देहरादून, 22 सिंतबर (भाषा) उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की स्नातक स्तरीय परीक्षा में कथित तौर पर एक प्रश्नपत्र के तीन पन्ने लीक होने को सरकार को बदनाम करने का षडयंत्र बताते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को कहा कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
मुख्यमंत्री ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि सरकार के सख्त नकल विरोधी कानून से परेशान लोग सरकार को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “रविवार को भी फिर ऐसा प्रयास किया गया जबकि यह पेपर लीक जैसा मामला नहीं है।”
धामी ने कहा कि कुछ नकल माफिया और कोचिंग माफिया सरकार को बदनाम करने का षडयंत्र रच रहे हैं और इसका जल्द खुलासा होगा। उन्होंने कहा कि नकल माफिया को किसी भी स्थिति में बख्शा नहीं जाएगा।
उन्होंने कहा कि चार जुलाई 2021 को जब उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में काम काज संभाला तो उस समय विभिन्न विभागों में करीब 22 हजार पद रिक्त थे लेकिन सरकार के प्रयासों से 25 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि इसमें एक भी परीक्षा में नकल का मामला सामने नहीं आया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भर्ती प्रकिया में बाधा न पहुंचे, इसके लिए सरकार सख्त नकल विरोधी कानून लेकर आई लेकिन इससे परेशान कुछ लोग सरकार को बदनाम करने का प्रयास करने लगे।
आयोग द्वारा रविवार को विभिन्न विभागों के लिए आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा के प्रश्नपत्र के तीन पन्नों की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने कहा कि प्रारंभिक जांच में इस प्रकरण में किसी संगठित गिरोह की संलिप्तता नहीं पायी गयी है।
हालांकि, उन्होंने माना कि किसी परीक्षा केंद्र से किसी व्यक्ति ने प्रश्नपत्र के कुछ प्रश्नों की फोटो भेजी गयी।
उन्होंने कहा कि इस मामले में शामिल आरोपियों की पहचान कर ली गयी है और उनके खिलाफ पुख्ता साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
एसएसपी ने बताया कि प्रकरण में सामाजिक कार्यकर्ता बॉबी पंवार भी संदेह के घेरे में हैं जिन्होंने कथित तौर पर बिना किसी आधिकारिक पुष्टि या सूचना का सत्यापन किए परीक्षा प्रणाली को सनसनीखेज बनाने के उददेश्य से प्रश्नों के स्क्रीन शॉटस को सोशल मीडिया पर डाल दिया।
उधर, आयोग के अध्यक्ष गणेश सिंह मतोलिया ने भी इसे ‘पेपर लीक’ का प्रकरण मानने से इंकार किया लेकिन कहा कि प्रश्नपत्र के कुछ पन्ने सार्वजनिक होना चिंता की बात है।
मर्तोलिया ने यह भी कहा कि सभी परीक्षा केंद्रों पर मोबाइल जैमर लगाए गए हैं ऐसे में यह आयोग के लिए भी बहुत आश्चर्यजनक है कि प्रश्नपत्र के कुछ सार्वजनिक कैसे आए।
उन्होंने कहा कि इसीलिए प्रकरण की विस्तृत जांच के लिए आयोग ने देहरादून के एसएसपी तथा विशेष कार्यबल (एसटीएफ) से अनुरोध किया है।
पुलिस ने कथित तौर पर अभ्यर्थियों को 12-15 लाख रुपये में परीक्षा उत्तीर्ण कराने का लालच देने वाले दो आरोपियों हाकम सिंह और उसके सहयोगी पंकज गौड़ को शनिवार को गिरफ्तार किया था।
उत्तरकाशी जिले के रहने वाले हाकम सिंह को कुछ साल पहले भी इसी आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
इस बीच, कांग्रेस ने इस प्रकरण को लेकर प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया तथा उसके पुतले फूंके।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने इसे वर्षों से सरकारी नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे लाखों युवाओं के भविष्य के साथ धामी सरकार का एक और बड़ा धोखा बताया।
उन्होंने कहा, “धामी सरकार ने उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) कानून लाकर इसे देश का सबसे सख्त नकल-विरोधी कानून बताया था। लेकिन आज धामी सरकार के सभी दावे खोखले और जुमले साबित हुए।”
भाषा दीप्ति
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