अदालत ने मंदिर की मूर्ति को नाबालिग बालक के समान करार दिया, पलनी मंदिर की संपत्ति बहाल की

अदालत ने मंदिर की मूर्ति को नाबालिग बालक के समान करार दिया, पलनी मंदिर की संपत्ति बहाल की

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  • Publish Date - June 28, 2021 / 02:02 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:38 PM IST

चेन्नई, 28 जून (भाषा) मंदिर की मूर्ति को नाबालिग बालक के समान करार देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने पलनी में स्थित मशहूर श्री धन्दयुथापनी स्वामी मंदिर की लाखों रुपये की संपत्ति बहाल कर उसे मंदिर को सौंपने के निर्देश दिए हैं।

न्यायमूर्ति आरएमटी टीका रमण ने अपने हालिया आदेश में कहा कि कानून के विचार में मंदिर की मूर्ति एक नाबालिग बालक के समान है और अदालत व्यक्ति एवं संपत्ति दोनों ही मामलों में नाबालिग बालक की अभिभावक है।

उन्होंने कहा, ” अदालत व्यक्ति एवं संपत्ति दोनों ही मामलों में एक नाबालिग बालक की अभिभावक है। इसी तरह, अदालत मंदिर की मूर्ति की संपत्ति की अभिभावक है।”

अदालत ने उन व्यक्तियों की दूसरी अपील को खारिज करते हुए उक्त टिप्पणी की जोकि पीढ़ियों से मंदिर की संपत्ति पर काबिज हैं।

न्यायाधीश ने कहा कि मूर्ति का अभिभावक होने के नाते यह अदालत यह महसूस करती है कि अपीलकर्ता/प्रतिवादी संदिग्ध तरीके से पीढ़ियों से संपत्ति का लाभ उठा रहे हैं इसलिए इन्हें हटाया जाना चाहिए।

अदालत ने ‘हिन्दू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडॉमेंट डिपार्टमेंट’ के आयुक्त और सचिव को पूर्व के आदेश के अनुसार मंदिर के कार्यकारी अधिकारी को चार सप्ताह के भीतर संपत्ति का कब्जा देने के लिए उचित निर्देश देने को भी कहा। साथ ही कहा कि ऐसा करने में नाकाम रहने की दशा में आयुक्त को जल्द से जल्द कब्जा दिलाने के संबंध में कार्रवाई करनी होगी।

उल्लेखनीय है कि ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1863 में अपीलकर्ताओं के पुरखों को तिरुपुर जिले में धर्मपुरम के पेरियाकुमारपलायम गांव में 60 एकड़ से अधिक भूमि ”इनाम” के तौर पर दी थी, जिसे लेकर विवाद था।

न्यायाधीश ने कहा कि प्रतिवादी ब्रिटिश सरकार द्वारा ‘अनुदान’ के माध्यम से मिली मंदिर की जमीन पर पीढ़ियों से काबिज रहे।

भाषा शफीक नरेश

नरेश