नयी दिल्ली, दो अप्रैल (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को नर्मदा बचाओ आंदोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जो उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा दायर मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के खिलाफ दायर की थी।
सक्सेना उस समय गुजरात में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के प्रमुख थे।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल सिंह ने कहा, ‘‘दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी गई है और दोषसिद्धि बरकरार रखी गई है। सजा सुनाए जाने के लिए मेधा पाटकर आठ अप्रैल को पेश होंगी।’’
विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है।
सक्सेना ने यह मामला नवंबर 2000 में उस वक्त दायर किया था, जब वह ‘नेशनल काउंसिल ऑफ सिविल लिबर्टीज’ के अध्यक्ष थे। सक्सेना ने उक्त मामला पाटकर द्वारा उनके खिलाफ जारी की गई एक ‘अपमानजनक’ प्रेस विज्ञप्ति के लिए दायर किया था।
पिछले साल 24 मई को मजिस्ट्रेट अदालत ने कहा था कि पाटकर द्वारा सक्सेना को ‘‘कायर’’ कहना और हवाला लेनदेन में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाने वाला उनका बयान न केवल अपने आप में मानहानि के समान है, बल्कि इसे नकारात्मक धारणा को उकसाने के लिए गढ़ा गया था।
सजा पर बहस 30 मई को पूरी हो गई थी, जिसके बाद सजा पर फैसला सात जून को सुरक्षित रख लिया गया था।
अदालत ने एक जुलाई 2024 को उन्हें पांच महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके बाद पाटकर ने सत्र अदालत में अपील दायर की थी।
भाषा
देवेंद्र नरेश
नरेश