नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय 13 अक्टूबर को उस याचिका पर सुनवाई कर सकता है, जिसमें बेंगलुरु सेंट्रल और अन्य प्रभावित निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता सूची में हेरफेर के आरोपों की जांच के लिए एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का अनुरोध किया गया है।
याचिका में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से सात अगस्त को की गई प्रेस वार्ता का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने इन दावों के समर्थन में आंकड़े पेश किए थे।
उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार, वकील रोहित पांडे की याचिका पर सुनवाई संभवतः 13 अक्टूबर को होगी।
याचिका में शीर्ष अदालत से यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि उसके निर्देशों का अनुपालन न होने और मतदाता सूचियों का स्वतंत्र ऑडिट पूरा न किए जाने तक मतदाता सूचियों में कोई और संशोधन न किया जाए या उन्हें अंतिम रूप देने का काम न किया जाए।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सात अगस्त को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और निर्वाचन आयोग के बीच “मिलीभगत” के जरिये चुनावों में “बड़े पैमाने पर आपराधिक धोखाधड़ी” होने का दावा किया था और पिछले साल कर्नाटक के एक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता सूची के विश्लेषण का हवाला दिया था।
राहुल गांधी द्वारा यह आरोप लगाए जाने के तुरंत बाद कि ‘‘वोट चोरी’’ हमारे लोकतंत्र पर एक ‘‘एटम बम’’ की तरह है, कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने कांग्रेस नेता से उन मतदाताओं के नामों के साथ हस्ताक्षरित घोषणापत्र प्रस्तुत करने को कहा था, जिनके बारे में उन्होंने दावा किया है कि उन्हें मतदाता सूची में गलत तरीके से कथित तौर पर शामिल किया गया है या बाहर रखा गया है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने 17 अगस्त को कहा था कि राहुल गांधी को मतदाता सूची में अनियमितताओं के अपने आरोपों पर सात दिन के भीतर शपथपत्र देना चाहिए, अन्यथा उनके ‘वोट चोरी’ के दावे ‘‘निराधार और अमान्य’’ माने जाएंगे।
उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में न्यायालय से निर्वाचन आयोग को मतदाता सूची की तैयारी, रखरखाव और प्रकाशन में पारदर्शिता, जवाबदेही और सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने का आग्रह किया गया है।
इसमें निर्वाचन आयोग को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि वह मतदाता सूचियों को सुलभ, मशीन-पठनीय और ओसीआर-अनुरूप प्रारूप में प्रकाशित करे, ताकि सार्थक सत्यापन, लेखा परीक्षा और सार्वजनिक जांच संभव हो सके।
याचिका में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता ने बेंगलुरु सेंट्रल संसदीय क्षेत्र (महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र) की मतदाता सूची में गंभीर अनियमितताएं देखी हैं, जिस पर इस अदालत को तत्काल विचार करना चाहिए।’’
इसमें कहा गया कि संविधान की पवित्रता को बनाए रखने और संरक्षित करने के लिए उच्चतम न्यायालय का हस्तक्षेप जरूरी है। इसे केवल शीर्ष अदालत द्वारा ही प्रभावी ढंग से सुनिश्चित किया जा सकता है।
याचिका में दावा किया गया है कि महाराष्ट्र में 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद और विधानसभा चुनाव से पहले, लगभग चार महीने के भीतर मतदाता सूची में लगभग 39 लाख नये मतदाता जोड़े गये, जबकि पिछले पांच वर्षों में केवल लगभग 50 लाख मतदाता ही जुड़े थे।
याचिका में कहा गया है, ‘‘इस तरह की अचानक और अनुपातहीन वृद्धि मतदाता सूची में नाम जोड़ने की प्रक्रिया में निर्वाचन आयोग की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाती है।’’
इसमें कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने लगातार यह माना है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संविधान के ‘मूल ढांचे’ का हिस्सा हैं और किसी भी विधायी या कार्यकारी कार्रवाई द्वारा इन्हें कमजोर या विकृत नहीं किया जा सकता है।
भाषा
देवेंद्र सुरेश
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