कोविड एक अभूतपूर्व आपदा थी, टीकाकरण ने बचाई लोगों की जान : केंद्र ने न्यायालय को बताया

कोविड एक अभूतपूर्व आपदा थी, टीकाकरण ने बचाई लोगों की जान : केंद्र ने न्यायालय को बताया

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  • Publish Date - December 10, 2024 / 05:09 PM IST,
    Updated On - December 10, 2024 / 05:09 PM IST

नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (भाषा) केंद्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि कोविड-19 महामारी “एक ऐसी आपदा थी जो पहले कभी नहीं हुई” और टीकाकरण ने लोगों की जान बचाई।

यह दलील तब दी गई जब न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पी.बी. वराले की पीठ दो महिलाओं की कथित तौर पर टीका लगने से हुई मौत से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रही अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि कोविड एक ऐसी आपदा है जो पहले कभी नहीं हुई। इस पर महिला के माता-पिता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने जवाब दिया, “हम इसका विरोध नहीं कर रहे हैं। हमारी राय इस पर अलग नहीं।”

दोनों महिलाओं के माता-पिता द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया कि कोविशील्ड टीके की पहली खुराक के बाद महिलाओं को टीकाकरण के पश्चात गंभीर प्रतिकूल प्रभाव (एईएफआई) का सामना करना पड़ा।

भाटी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने कोविड टीकाकरण के पहलू पर समग्र रूप से विचार किया है और एईएफआई के पहलू से निपटने का फैसला दिया है।

उन्होंने कहा, “आखिरकार, यह संतुलन साधने का सवाल है। कोविड एक ऐसी आपदा थी, जैसी पहले कभी नहीं हुई। कोविड टीकाकरण ने महामारी के दौरान लोगों की जान बचाई है और हमारे पास एक मजबूत नियामक तंत्र है।”

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि ये सभी गैरजरूरी मुकदमे हैं। गोंजाल्विस ने कहा कि दोनों याचिकाकर्ताओं ने टीकाकरण के बाद अपनी बेटियों को खो दिया था।

पीठ ने टिप्पणी की, “इस अदालत ने इस पर (याचिका पर) विचार किया है, हमें इस पर निर्णय करना होगा।”

भाटी ने कहा कि न्यायालय ने अगस्त 2022 में याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था और सरकार का जवाबी हलफनामा रिकॉर्ड में है।

गोंजाल्विस ने हालांकि कहा कि यह एक व्यापक मुद्दा है, जो उपचारों के खुलासे के बिना टीके से होने वाली नुकसान से संबंधित है।

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने राहत खंड में संशोधन की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया था, जिसमें सरकार द्वारा संभावित प्रतिकूल प्रभावों और उसके उपचार को निर्दिष्ट करना शामिल था।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया कि 2021 में यूरोपीय देशों में कोविशील्ड टीके को बंद कर दिया गया था क्योंकि यह खतरनाक था।

पीठ ने उनसे तीन दिन के भीतर आवेदन की एक प्रति केंद्र के वकील को उपलब्ध कराने को कहा और भाटी से कहा, “हम आपको आवेदन का जवाब देने के लिए समय दे रहे हैं, उसके बाद हम पूरे मामले पर विचार करेंगे।”

केंद्र को चार सप्ताह के भीतर आवेदन पर जवाब देने का निर्देश दिया गया, जिसके बाद मामले की सुनवाई की जाएगी।

भाषा

प्रशांत माधव

माधव