नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 2017 में 17 वर्षीय एक लड़के को जबरन तेजाब पिलाने के दोषी दो लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
अदालत ने कहा कि यह घिनौना और क्रूर कृत्य अधिकतम सजा का हकदार है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सोनाली गुप्ता, आकाश उर्फ बोंडी और तालिब खान के खिलाफ सजा पर दलीलें सुन रही थीं, जिन्हें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 326ए (तेज या अन्य संक्षारक पदार्थों का उपयोग करके स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना) के तहत दोषी ठहराया गया।
लोक अभियोजक ने कहा कि दोषियों को उनके बर्बर कृत्य के लिए किसी भी प्रकार की नरमी नहीं मिलनी चाहिए।
अदालत ने कहा कि पीड़ित को जबरन तेजाब पिलाना “अपने आप में एक घृणित और निर्मम अपराध है।”
अदालत ने कहा कि यह अपराध यह भी दर्शाता है कि दोषियों का उद्देश्य पीड़ित को स्थायी और अपूरणीय क्षति पहुंचाना तथा उसे असहनीय पीड़ा देकर आजीवन प्रताड़ित करना था।
अदालत ने कहा, “यह दोषियों की विकृत मानसिकता को दर्शाता है। संक्षेप में कहें तो यह उनके उस इरादे को दिखाता है जिसके तहत वे पीड़ित को ऐसा घाव देना चाहते थे, जिससे उसका जीवन अत्यंत कष्टदायक हो जाए और अंततः उसकी दर्दनाक मौत हो जाए।”
इसके बाद अदालत ने दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और पीड़ित की मां को दस लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।
भाषा राखी रंजन
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