अनिवार्य पंजीकरण आदेश के तहत विवाहों का ऑनलाइन पंजीकरण शुरू करने का दिल्ली उच्च न्यायालय का निर्देश

अनिवार्य पंजीकरण आदेश के तहत विवाहों का ऑनलाइन पंजीकरण शुरू करने का दिल्ली उच्च न्यायालय का निर्देश

अनिवार्य पंजीकरण आदेश के तहत विवाहों का ऑनलाइन पंजीकरण शुरू करने का दिल्ली उच्च न्यायालय का निर्देश
Modified Date: July 18, 2024 / 08:53 pm IST
Published Date: July 18, 2024 8:53 pm IST

नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने नगर के अधिकारियों को अनिवार्य विवाह पंजीकरण आदेश, 2014 के तहत मुस्लिम और ईसाई विवाहों सहित सभी विवाहों का ऑनलाइन पंजीकरण शुरू करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है।

अदालत ने कहा कि इस तरह के पंजीकरण को सक्षम बनाना जनता के लिए सुचारू प्रशासनिक प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है।

न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि अधिकारियों द्वारा पहले दिए गए आश्वासन के बावजूद, दिल्ली (विवाह का अनिवार्य पंजीकरण) आदेश 2014 के तहत विवाहों के पंजीकरण के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन कोई स्थापित प्रक्रिया नहीं है, खासकर अगर वे मुस्लिम पर्सनल लॉ या ईसाई पर्सनल लॉ के तहत संपन्न हुए हों।

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इसे ‘व्यवस्थागत विफलता’ करार देते हुए न्यायमूर्ति नरूला ने कहा कि मुसलमानों और ईसाइयों के पर्सनल कानूनों के तहत संपन्न विवाहों के ऑनलाइन पंजीकरण के लिए उचित प्रशासनिक निर्देश जारी करने के संबंध में 2021 में दिए गए आश्वासन के बावजूद यह दिक्कत बनी हुई है।

अदालत ने कहा कि यह देखना निराशाजनक है कि उचित प्रशासनिक निर्देश अभी तक जारी नहीं किए गए हैं।

अदालत ने कहा, ‘विवाह पंजीकरण आदेश, 2014 के अनिवार्य पंजीकरण के तहत विवाहों के पंजीकरण के लिए कोई स्थापित प्रक्रिया नहीं दिखती है – न तो ऑनलाइन और न ही ऑफलाइन – खासकर मुस्लिम पर्सनल लॉ या ईसाई पर्सनल लॉ के तहत संपन्न विवाहों के लिए। बुनियादी ढांचे की यह कमी कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करने की मांग करने वाले पक्षों के सामने आने वाली कठिनाइयों को बनाए रखती है, जैसे कि वीजा प्राप्त करना या आधिकारिक विवाह मान्यता पर निर्भर अधिकारों का दावा करना।’

अदालत ने कहा, ‘प्रतिवादी संख्या 3, दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग के आईटी विभाग/विवाह शाखा को दिल्ली सरकार के विवाह पंजीकरण ऑनलाइन पोर्टल पर अनिवार्य विवाह पंजीकरण आदेश, 2014 के तहत विवाहों के पंजीकरण को चालू करने के लिए तुरंत आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।’’

अदालत ने आदेश दिया कि ‘यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई अनिवार्य है कि इस तरह के मुद्दे तुरंत हल हों और फिर से न उत्पन्न हों, जिससे जनता के लिए प्रशासनिक प्रक्रियाएं आसान हो सकें।’

अदालत का यह आदेश हाल ही में एक जोड़े की याचिका पर पारित किया गया था, जिनकी शादी 1995 में मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार हुई थी, जिन्होंने कनाडा के लिए वीजा के लिए आवेदन करने के लिए विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र मांगा था।

याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय का रुख किया क्योंकि ऑनलाइन पोर्टल ने उन्हें दिल्ली (विवाह का अनिवार्य पंजीकरण) आदेश के तहत पंजीकरण के लिए कोई विकल्प नहीं दिया और उपलब्ध विकल्प हिंदू विवाह अधिनियम और विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकरण तक सीमित थे।

जवाब में, संबंधित विवाह अधिकारी ने कहा कि पोर्टल पर अनिवार्य विवाह आदेश के तहत विवाह पंजीकरण के लिए आवेदन करने का कोई विकल्प नहीं था, लेकिन अगर कोई हिंदू विवाह अधिनियम या विशेष विवाह अधिनियम के तहत आवेदन करता है, उचित प्रक्रिया का पालन किया जाता है तो एक अंतिम ‘विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र’ को मंजूरी दी जाती है, जिसे अनिवार्य विवाह पंजीकरण आदेश के तहत जारी किया जा सकता है।

अदालत ने कहा कि वर्तमान याचिका पर अधिकारियों के जवाब से पता चलता है कि याचिकाकर्ता, मुस्लिम होने के नाते, विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपने विवाह के पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं।

अदालत ने कहा कि अधिकारियों ने इस बारे में संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया है कि अनिवार्य विवाह पंजीकरण आदेश, 2014 जारी होने के बावजूद, इसके तहत विवाह पंजीकरण की सुविधा के लिए कोई पर्याप्त उपाय क्यों लागू नहीं किए गए हैं।

अदालत ने कहा कि ‘राज्य अपने रिकॉर्ड किए गए आश्वासन के बावजूद कानून के तहत अपने कर्तव्य को पूरा करने में विफल रहा है।’’ अदालत ने अधिकारियों को दिल्ली (विवाह का अनिवार्य पंजीकरण) आदेश, 2014 के तहत विवाह के पंजीकरण के लिए याचिकाकर्ताओं के आवेदन पर विचार करने और यदि आवेदन सही है और युगल पात्रता मानदंडों को पूरा करता है तो विवाह प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया।

भाषा अमित अविनाश

अविनाश


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