दिल्ली उच्च न्यायालय ने पॉक्सो मामले में आरोपी को बरी करने के फैसले को बरकरार रखा

दिल्ली उच्च न्यायालय ने पॉक्सो मामले में आरोपी को बरी करने के फैसले को बरकरार रखा

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  • Publish Date - June 19, 2025 / 03:24 PM IST,
    Updated On - June 19, 2025 / 03:24 PM IST

नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म के एक मामले में एक आरोपी को बरी करने के अधीनस्थ अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि संबंधित अदालत ने कथित घटना के बारे में पीड़िता के बयान पर ‘बड़ा संदेह’ जताकर सही किया है।

न्यायमूर्ति अमित महाजन मार्च 2018 के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की उस अपील पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (बलात्कार) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोपी को बरी करने के फैसले को चुनौती दी गई थी।

न्यायाधीश ने 17 जून को दिए फैसले में कहा, ‘‘यह सामान्य कानून है कि अभियुक्त को केवल अभियोक्ता (शिकायतकर्ता) के साक्ष्य के आधार पर दोषी ठहराया जा सकता है, जब तक कि उस साक्ष्य से विश्वास पैदा होता हो और उसके लिए पुष्टि की आवश्यकता न हो। हालांकि, शिकायतकर्ता की गवाही असंगतियों से भरी हुई है और उससे विश्वास पैदा नहीं होता।’’

उच्च न्यायालय ने कहा कि प्राथमिकी कथित घटना के बाद 10 दिन की देरी से दर्ज की गई और अभियोजन पक्ष इसके लिए कोई उपयुक्त स्पष्टीकरण देने में विफल रहा।

अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के मुताबिक घटना एक अप्रैल 2015 को घटित हुई थी, फिर भी पीड़िता ने 10 अप्रैल को पुलिस को इसकी जानकारी दी और आरोपी के कारखाने में काम करती रही, जिससे उसके आचरण पर संदेह उत्पन्न होता है।

अदालत ने कहा कि राज्य सरकार प्रथम दृष्टया अपना आरोप साबित करने में विफल रही, जिससे उसे वर्तमान मामले में अपील मंजूर करने का कोई ‘‘विश्वसनीय आधार’’ नहीं है।

भाषा धीरज सुरेश

सुरेश