नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) कठोर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की छात्रा नताशा नरवाल ने बृहस्पतिवार को यहां एक अदालत के समक्ष आरोप लगाया कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों के मामले में पुलिस द्वारा दायर आरोपपत्र हेड कांस्टेबल रतन लाल और गुप्तचर ब्यूरो के अधिकारी अंकित शर्मा सहित केवल तीन व्यक्तियों की मौत के इर्द-गिर्द घूमता है और इसमें अन्य स्थानीय व्यक्तियों की मौतों को नजरअंदाज किया गया है।
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नरवाल के वकील अदित पुजारी ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष आरोप लगाया कि दंगों में 53 लोगों की मौत हुई, लेकिन आरोप-पत्र केवल तीन व्यक्तियों की मृत्यु के इर्द-गिर्द घूमता है।
उन्होंने कहा, “क्या हम एक ऐसे समाज में रह रहे हैं जहाँ एक पुलिसकर्मी का जीवन 48 अन्य नागरिकों के जीवन से अधिक महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष ने दंगों में मारे गए 53 लोगों का नाम लिया, फिर भी साजिश संबंधी आरोप-पत्र तीन लोगों रतन लाल, राहुल सोलंकी और अंकित शर्मा के इर्द-गिर्द घूमता है।
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