नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में सोमवार को स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए विपक्षी दलों के सदस्यों ने उपकर में राज्यों को भी हिस्सेदारी देने की मांग की।
पारंपरिक रूप से उपकर से मिलने वाला राजस्व केंद्र सरकार के पास रहता है और यह विभाज्य ‘पूल’ का हिस्सा नहीं होता। हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 विधेयक का मकसद अतिरिक्त संसाधन जुटाना है तथा इससे मिलने वाले राजस्व का एक हिस्सा राज्यों के साथ साझा किया जाएगा।
चर्चा में भाग लेते हुए माकपा सदस्य जॉन बिटास ने कहा कि वित्त मंत्री ने आश्वासन दिया है कि इस विधेयक के तहत एकत्र उपकर में राज्यों को हिस्सा मिलेगा। उन्होंने कहा कि लेकिन इस संबंध में कोई स्पष्टता नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि एकत्रित राशि के विभाजन के लिए क्या प्रक्रिया होगी।
माकपा सदस्य ने आरोप लगाया कि केंद्र और विपक्ष शासित राज्यों के बीच परस्पर विश्वास की कमी है और केंद्र को उसे दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
मनोनीत सुधामूर्ति ने इस विधेयक की सराहना करते हुए कहा कि उपकर से मिलने वाला पैसा देश के लिए खर्च होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि इस राशि का एक हिस्सा स्वास्थ्य जागरूकता के लिए खर्च किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि तंबाकू उत्पादों के उपयोग से होने वाले नुकसान के बारे में जमीनी स्तर पर जानकारी दी जानी चाहिए और इसे कॉलेज और स्कूलों के पाठ्यक्रमों में भी शामिल किया जाना चाहिए।
शिवसेना सदस्य मिलिंद देवरा ने कहा कि तंबाकू की तरह शराब भी काफी खतरनाक है और तंबाकू उत्पादों की तरह शराब की बोतलों पर भी चेतावनी लिखी जानी चाहिए। उन्होंने शराब और इसके उत्पाद से जुड़ी इकाइयों और उपकरणों पर भी उपकर लगाए जाने की मांग की।
भाजपा के सिकंदर कुमार ने केंद्र सरकार के विभिन्न कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले एक दशक में देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति आयी है। उन्होंने कहा कि इस दौरान एक ओर स्वास्थ्य बजट में उल्लेखनीय सुधार हुआ है वहीं देश में स्वास्थ्य सुविधाओं में भी काफी सुधार देखा गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार के कदमों के कारण अब दुनिया में सबसे ज्यादा मेडिकल कॉलेज भारत में हैं।
शिवसेना-उबाठा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि सरकार राज्यों के अधिकारों का हनन कर रही है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था राज्य का विषय है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा विधेयक के जरिए एकत्र होने वाले उपकर में राज्यों के हिस्से के बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्यों की मांग है कि उपकर से एकत्र राजस्व में भी उन्हें हिस्सा मिले।
राकांपा-एसपी सदस्य फौजिया खान ने विधेयक के विभिन्न प्रावधानों का जिक्र करते हुए इसे स्थायी समिति में भेजे जाने की मांग की। भाजपा के भीम सिंह ने कहा कि यह नरेन्द्र मोदी सरकार की एक और उपलब्धि है जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी कदम उठाए हैं।
आईयूएमएल के हारिस बीरन ने कहा कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है लेकिन विधेयक में राजस्व संग्रह में राज्यों को दरकिनार कर दिया गया है। ‘‘इस प्रकार यह विधेयक सहकारी संघवाद के खिलाफ है।’’
भाजपा की संगीता यादव ने कहा ‘‘यह विधेयक हमारे नागरिकों का स्वास्थ्य सुनिश्चित करने वाला एक दूरदर्शी कदम है क्योंकि यह उपकर तंबाकू के उपभोग को कम करेगा।’’
निर्दलीय सदस्य कार्तिकेय शर्मा ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि अगर भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित होना है तो उसे पहले सुरक्षित राष्ट्र और उससे पहले एक स्वस्थ राष्ट्र बनना होगा।
उन्होंने कहा ‘‘यह विधेयक बताता है कि सरकार स्वास्थ्य को कितनी गंभीरता से ले रही है। उपकर की राशि स्वास्थ्य के लिए ही लगाई जाएगी जिसका फायदा आम आदमी को होगा।’’
भाजपा की कविता पाटीदार ने कहा कि यह विधेयक नशीले पदार्थों के सेवन पर रोक लगाता है और ऐसा होने पर सेहत के लिए जागरुकता निश्चित तौर पर बढ़ेगी।
चर्चा में भाजपा के अजीत माधवराव गोपछड़े, अमरपाल मौर्य, माया नारोलिया, धनंजय भीमराव महादिक, बीआरएस के रविचंद्र वद्दीराजू, तेदेपा के मस्तान राव यादव बीधा ने भी भाग लिया।
भाषा अविनाश मनीषा
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