सांसदों,विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया जाए:न्याय मित्र |

सांसदों,विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया जाए:न्याय मित्र

सांसदों,विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया जाए:न्याय मित्र

:   Modified Date:  May 3, 2023 / 09:57 PM IST, Published Date : May 3, 2023/9:57 pm IST

नयी दिल्ली, तीन मई (भाषा) सांसदों-विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के तेजी से निस्तारण में उच्चतम न्यायालय की सहायता करने के लिए उसके द्वारा नियुक्त न्याय मित्र ने इन लोगों के खिलाफ लंबित मामलों की त्वरित सुनवाई के वास्ते बुधवार को शीर्ष न्यायालय से निर्देश जारी करने का अनुरोध किया।

साथ ही, न्याय मित्र ने शीर्ष न्यायालय से उच्च न्यायालयों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया कि सांसदों/विधायकों के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालतों में जरूरी न्यायाधीशों की संख्या की समीक्षा की जाए।

वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने शीर्ष न्यायालय में सौंपी गई एक रिपोर्ट में दलील दी, ‘‘विशेष अदालतों को लंबित मामलों की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया जा सकता है। प्रत्येक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सांसदों/विधायकों से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालतों की अध्यक्षता करने के लिए जरूरी न्यायाधीशों की संख्या की समीक्षा करे।’’

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि उच्च न्यायालय विशेष अदालतों के पीठासीन अधिकारियों का तभी तबादला कर सकता है, जब प्रस्ताव को संबद्ध उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की मंजूरी मिल गई हो।

अधिवक्ता स्नेहा कलिता के मार्फत दाखिल की गई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘उक्त पद पर शीघ्र ही एक अन्य न्यायिक अधिकारी को पदस्थ किया जाना चाहिए और यह पद खाली नहीं रहना चाहिए। अंतिम फैसला सुनाने के लिए मुकदमे में दलीलें पूरी हो जाने के बाद तबादले के समय मामला लंबित नहीं हो।’’

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 11 अप्रैल को दाखिल एक हलफनामे में कहा था कि वह ‘कनेक्टिविटी’, लैपटॉप, बिजली गुल होने पर वैकल्पिक व्यवस्था, सुरक्षा सुविधाएं आदि के अभाव से जुड़े मुद्दों का सामना कर रहा है। इसके चलते सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई में देर हुई है।

इसमें कहा गया है कि उपयुक्त सरकार की मंजूरी के बाद ही उच्च न्यायालय विशेष अदालत भवनों के निर्माण/मरम्मत/जीर्णोद्धार परियोजनाओं पर आगे बढ़ सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, मद्रास उच्च न्यायालय ने दावा किया कि तमिलनाडु में 28 फरवरी तक सांसदों/विधायकों के खिलाफ 249 मामले लंबित थे, जिसमें से 50 मामले पांच या इससे अधिक साल पुराने हैं।

इसमें कहा गया है कि बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि 28 फरवरी तक, सांसदों/विधायकों के खिलाफ 472 मामले लंबित थे।

रिपोर्ट में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा कि 31 मार्च तक, सांसदों/विधायकों के खिलाफ 304 मामले लंबित थे। वहीं, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब में 100 और हरियाणा में 49 मामले लंबित रहने की जानकारी दी।

भाषा सुभाष माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)