उच्च न्यायालयों को अधीनस्थ अदालतों से बाल तस्करी के लंबित मामलों की स्थिति तलब करने का निर्देश

उच्च न्यायालयों को अधीनस्थ अदालतों से बाल तस्करी के लंबित मामलों की स्थिति तलब करने का निर्देश

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  • Publish Date - April 15, 2025 / 10:20 PM IST,
    Updated On - April 15, 2025 / 10:20 PM IST

नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया कि वे संबंधित जिला अदालतों से बाल तस्करी के लंबित मुकदमों की स्थिति के बारे में जानकारी मांगें और उन्हें इन मुदकमों की सुनवाई छह महीने के भीतर पूरी करने का निर्देश दें।

न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने मानव तस्करी के एक मामले के 13 आरोपियों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ओर से दी गई जमानत रद्द कर दी और राज्य सरकार को अपराध की रोकथाम से जुड़े उपायों के कार्यान्वयन के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया।

पीठ ने कहा, “हम देशभर के सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश देते हैं कि वे बाल तस्करी से जुड़े लंबित मुकदमों की स्थिति के संबंध में आवश्यक जानकारी मांगें। प्रत्येक उच्च न्यायालय जब मुकदमों की स्थिति के संबंध में आवश्यक आंकड़े एकत्र कर लेगा, तो उसके प्रशासनिक पक्ष की ओर से सभी संबंधित सुनवाई अदालतों को एक परिपत्र जारी किया जाएगा, जिसमें परिपत्र जारी होने की तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर सुनवाई पूरी करने और यदि आवश्यक हो, तो दिन-प्रतिदिन के आधार पर सुनवाई करने का निर्देश दिया जाएगा।”

पीठ ने कहा कि इसके बाद प्रत्येक उच्च न्यायालय को परिपत्र में दिए गए निर्देशों के अनुपालन के संबंध में एक रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपनी चाहिए।

उसने कहा कि सभी राज्य सरकारों को भारतीय अनुसंधान एवं विकास संस्थान (बीआईआरडी) की 12 अप्रैल 2023 की रिपोर्ट और उसकी सिफारिशों पर गौर करना चाहिए।

वर्ष 2023 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बीआईआरडी को मानव तस्करी पर अध्ययन का काम सौंपा था। संस्थान ने मानव तस्करी, खासकर बाल तस्करी की जांच में राज्यों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा अपनाए गए तंत्र में विभिन्न कमियों को चिह्नित किया था और उपचारात्मक उपाय सुझाए थे।

भाषा पारुल पवनेश

पवनेश