अयोग्यता विवाद: उपचुनावों पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के बयान से न्यायालय नाखुश

अयोग्यता विवाद: उपचुनावों पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के बयान से न्यायालय नाखुश

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  • Publish Date - April 3, 2025 / 05:15 PM IST,
    Updated On - April 3, 2025 / 05:15 PM IST

नयी दिल्ली, तीन अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी के विधानसभा में दिए गए उस बयान पर बृहस्पतिवार को नाराजगी व्यक्त की, जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य में कोई उपचुनाव नहीं होगा। न्यायालय ने कहा कि उनसे ‘‘कुछ हद तक संयम’’ बरतने की अपेक्षा की जाती है।

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने पूछा, ‘‘क्या हमने उस समय उन्हें बख्शकर और अवमानना ​​के लिए कार्रवाई न कर कोई गलती की?’’

शीर्ष अदालत संभवत: एक अलग मामले का जिक्र कर रही थी, जिसमें उसने पिछले साल कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मामलों में प्रतिद्वंद्वी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के. कविता को शीर्ष अदालत से जमानत मिलने पर रेड्डी द्वारा की गई टिप्पणी को अस्वीकार कर दिया था।

शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी उन याचिकाओं पर बहस के दौरान आई, जिनमें कांग्रेस में शामिल हुए बीआरएस के 10 विधायकों को अयोग्य ठहराने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर निर्णय लेने में तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कथित देरी का मुद्दा उठाया गया था।

पीठ ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

बहस के दौरान, रेड्डी के विधानसभा में हाल में दिए गए बयान का मुद्दा पीठ के सामने आया।

न्यायमूर्ति गवई ने विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से पूछा, ‘‘श्रीमान सिंघवी, पहले के अनुभवों से क्या मुख्यमंत्री से कम से कम कुछ हद तक संयम बरतने की उम्मीद नहीं की जा सकती थी?’’

न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि अदालत नेताओं के बयानों से परेशान नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम आत्म-संयम बरतते हैं। हम लोकतंत्र के अन्य दो अंगों का सम्मान करते हैं। ऐसी ही अपेक्षा अन्य दो अंगों से भी की जाती है।’’

याचिकाकर्ता और बीआरएस नेता पी. कौशिक रेड्डी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सी. ए. सुंदरम ने मुख्यमंत्री के बयान की लिखित प्रतिलिपि का हवाला देते हुए इसे चौंकाने वाला बताया।

वकील ने कहा कि बीआरएस के एक विधायक ने विधानसभा में कहा था कि इस मुद्दे को नहीं उठाया जाना चाहिए क्योंकि मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, लेकिन मुख्यमंत्री ने फिर भी बयान दिया।

सुंदरम ने मुख्यमंत्री के बयान का हवाला दिया, जिसमें मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘‘अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से विधानसभा में मौजूद सभी लोगों से कह रहा हूं कि उन्हें भविष्य में किसी भी उपचुनाव के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। कोई भी उपचुनाव नहीं होगा।’’

सुंदरम ने कहा कि जब मुख्यमंत्री ने बयान दिया तो विधानसभा अध्यक्ष ने कुछ नहीं कहा।

सुनवाई के दौरान पीठ ने पूछा कि विधानसभा अध्यक्ष के लिए अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के संबंध में ‘‘उचित अवधि’’ क्या होगी।

पीठ ने पूछा कि क्या अयोग्यता के ऐसे आवेदनों को ‘‘कालातीत हो जाने देना चाहिए और दसवीं अनुसूची को कूड़ेदान में फेंक दिया जाना चाहिए?’’

संविधान की दसवीं अनुसूची दलबदल के आधार पर अयोग्यता के प्रावधानों से संबंधित है।

सुंदरम ने इसे ‘‘असाधारण स्थिति’’ बताते हुए पीठ से अनुरोध किया कि अयोग्यता संबंधी याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए समय सीमा निर्धारित की जाए।

रेड्डी ने कथित तौर पर 26 मार्च को विधानसभा में कहा था कि बीआरएस सदस्यों के पाला बदलने पर भी उपचुनाव नहीं होंगे।

पीठ ने दो अप्रैल को कहा, ‘‘अगर यह सदन में कहा गया है, तो आपके मुख्यमंत्री दसवीं अनुसूची का मजाक उड़ा रहे हैं।’’

शीर्ष अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष से यह भी पूछा था कि कांग्रेस में शामिल हुए बीआरएस विधायकों की अयोग्यता की याचिकाओं पर नोटिस जारी करने में उन्हें लगभग 10 महीने क्यों लगे।

शीर्ष अदालत में दायर याचिकाओं में से एक में तीन बीआरएस विधायकों की अयोग्यता के अनुरोध वाली याचिकाओं से संबंधित मामले में तेलंगाना उच्च न्यायालय के नवंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी गई है, जबकि दूसरी याचिका दलबदल करने वाले शेष सात विधायकों से संबंधित है।

पिछले साल नवंबर में उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष को तीनों विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर ‘‘उचित समय’’ के अंदर फैसला करना चाहिए।

खंडपीठ का फैसला एकल न्यायाधीश के नौ सितंबर, 2024 के आदेश के खिलाफ अपील पर आया। एकल न्यायाधीश ने तेलंगाना विधानसभा के सचिव को निर्देश दिया था कि वह चार सप्ताह के भीतर सुनवाई का कार्यक्रम तय करने के लिए अयोग्यता के अनुरोध वाली याचिका को विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष रखें।

उच्चतम न्यायालय ने चार मार्च को तेलंगाना सरकार और अन्य से याचिकाओं पर जवाब मांगा था और कहा था कि समय पर फैसला लेना महत्वपूर्ण है।

अदालत ने इस मामले में विधायक दानम नागेंद्र, वेंकट राव तेलम और कदियम श्रीहरि से भी जवाब मांगा था।

भाषा सुरभि पवनेश

पवनेश