Supreme Court On Dolo: कोरोना महामारी के दौरान पैरासिटामोल दवा ‘डोलो’ सबसे ज्यादा बिकी। यह बुखार के लिए काफी असरदार दवा थी। दवा इतनी ज्यादा बिकी की कंपनी का टर्नओवर कुछ ही महीनों में कई हजार करोड़ तक पहुंच गया। इससे जुड़ी हुई जो सबसे बड़ी खबर आ रही है वह यह है कि डोलो कंपनी अब मुश्किल में पड़ गई है। ऐसे इसलिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में डाली गई एक याचिका में ये दावा किया गया है कि महामारी के दौरान देश के कई डॉक्टरों को बुखार की दवा डोलो-650 मरीजों को देने के लिए 1000 करोड़ के फ्री गिफ्ट बांटे गए हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी 7 दिनों के अंदर जवाब मांगा है।
Supreme Court On Dolo: बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में ये दावा फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से सीनियर एडवोकेट संजय पारिख ने किया है। पारिख ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT ) की रिपोर्ट के हवाले से यह दावा किया है।
Supreme Court On Dolo: मामले में सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच के द्वारा की गई। सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने खुद का अनुभव बताते हुए कहा कि – ‘जो आप कह रहे हैं, वो मुझे सुनने में अच्छा नहीं लग रहा। ये वही दवाई है, जिसका कोविड के दौरान मैंने खुद इस्तेमाल किया। मुझे भी इसका इस्तेमाल करने के लिए बोला गया था। ये वाकई गम्भीर मसला है।’
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Supreme Court On Dolo: कोर्ट में दायर याचिका में यह भी कहा गया है कि इस तरह के मामलों में रिश्वत के लिए डॉक्टरों पर तो केस चलता है, पर दवा कंपनियां बच जाती है। याचिका में डॉक्टरों को तोहफे देने वाली दवा कंपनियों की जवाबदेही भी सुनिश्चित किए जाने की मांग की गई।
Supreme Court On Dolo: याचिका में यह भी मांग की गई है कि फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज के लिए यूनिफॉर्म कोड (UCPMP) बनाई जाए। जिसके न होने से अभी मरीजों को ब्रांडेड कंपनियों की बहुत ज्यादा कीमत वाली दवाई खरीदनी पड़ती है। क्योंकि डॉक्टर गिफ्ट के लालच में मरीजों को वही दवाई पर्चे पर लिखकर देते हैं।
Supreme Court On Dolo: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से भी एक हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है। मामले पर अगली सुनवाई 10 दिनों बाद होगी। सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) केएम नटराज ने कहा कि सरकार की ओर से हलफनामा लगभग तैयार है। इसे शीर्ष अदालत में दाखिल किया जाएगा।
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