चेक जारी करने से असंबद्ध निदेशकों को कार्यवाही में घसीटना न्याय का उपहास होगा : न्यायालय

चेक जारी करने से असंबद्ध निदेशकों को कार्यवाही में घसीटना न्याय का उपहास होगा : न्यायालय

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  • Publish Date - August 1, 2022 / 10:40 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:27 PM IST

नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि चेक जारी करने या इसके बाउन्स होने के संबंध में किसी कंपनी के निदेशकों को केवल उनके पदनाम के कारण निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स (एनआई) कानून के तहत आपराधिक कार्यवाही में घसीटना न्याय का उपहास होगा।

शीर्ष अदालत ने उन तीन लोगों के खिलाफ कथित चेक बाउन्स मामले में आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए यह कहा, जो आरोपी कंपनी के स्वतंत्र, गैर-कार्यकारी निदेशक थे। शीर्ष अदालत ने तीनों द्वारा दायर अपील को मंजूर कर लिया और कलकत्ता उच्च न्यायालय के सितंबर 2019 के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने एनआई कानून के प्रावधानों के तहत शिकायत के संबंध में बीरभूम में एक अदालत के समक्ष लंबित कार्यवाही को रद्द करने के लिए उनकी अर्जी को खारिज कर दिया था।

न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि कंपनी से जुड़ा प्रत्येक व्यक्ति एनआई कानून की धारा 141 के दायरे में नहीं आता है और फर्म के निदेशक, जो प्रासंगिक समय पर इसके प्रभारी या उसके व्यापार के लिये जिम्मेदार नहीं थे, वे उन प्रावधानों के तहत उत्तरदायी नहीं होंगे।

शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि यह व्यवस्था दी गई थी कि एनआई कानून की धारा 138/141 के तहत दायित्व प्रासंगिक समय पर कंपनी के व्यवसाय के संचालन के लिए जिम्मेदार होने के कारण उत्पन्न होता है, जब अपराध किया गया था, न कि केवल किसी कंपनी में पद या पद धारण करने के आधार पर। एनआई कानून की धारा 138 चेक बाउन्स होने से संबंधित है।

पीठ ने 24 पन्ने के अपने फैसले में कहा, ‘‘चेक जारी करने या उसके बाउन्स होने के संबंध में एनआई कानून के तहत आपराधिक कार्यवाही में निदेशक (कार्मिक), निदेशक (मानव संसाधन विकास) जैसे निदेशकों को केवल उनके पदनाम के कारण घसीटना न्याय का उपहास होगा।’’

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप