द्रौपदी मुर्मू बनी देश की नई महामहिम, जानें कैसे तय किया फर्श से अर्श का सफर

द्रौपदी मुर्मू बनी देश की नई महामहिम, जानें कैसे तय किया फर्श से अर्श का सफरः Draupadi Murmu's journey from village to Rashtrapati Bhavan

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  • Publish Date - July 21, 2022 / 08:33 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:55 PM IST

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Draupadi Murmu’s journey  राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मूने आज गुरुवार को राष्ट्रपति चुनाव में बड़ी जीत हासिल करते हुए इतिहास रच दिया है। उन्होंने चुनाव में विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को एक बेहद आसान मुकाबले में हरा दिया। मुर्मू को करीब एक हजार से ज्यादा सांसदों के वोट हासिल हुए और विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा 500 के करीब सांसदों को ही अपने पक्ष में खड़ा कर सके। तीसरे राउंड की गिनती के बाद मुर्मू को 50 से ज्यादा वोट हासिल हो चुके हैं जिससे साफ है कि आदिवासी समाज से आने वाली द्रौपदी मुर्मू देश की अगली राष्ट्रपति होंगी।

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जानें कौन हैं द्रौपदी मुर्मू?

Draupadi Murmu’s journey  साल 2015-2021 के बीच झारखंड की गवर्नर रही मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा में हुआ था। उनकी पढ़ाई भुवनेश्‍वर के रमादेवी वुमेंस कॉलेज से हुई है। वह स्‍नातक हैं। उनके पति श्‍याम चरण मुर्मू इस दुनिया में नहीं हैं। वे आदिवासी जातीय समूह, संथाल से संबंध रखती हैं। द्रौपदी ने अपने गृह जनपद से शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी होने के बाद एक शिक्षक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की और कुछ समय तक इस क्षेत्र में काम किया।

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कभी करती थीं ये नौकरी

बता दें कि द्रौपदी मुर्मू सिंचाई और बिजली विभाग में 1979 से 1983 तक जूनियर असिस्‍टेंट के तौर पर भी काम कर चुकी हैं। वर्ष 1994 से 1997 तक उन्‍होंरे रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटीगरल एजुकेशन सेंटर में ऑनरेरी असिस्‍टेंट टीचर के तौर पर भी सेवाएं दीं।

द्रौपदी मुर्मू की जिंदगी की सबसे बड़ी चुनौती!

एक दौर ऐसा भी था जब द्रौपदी मुर्मू के सामने दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था और वो पूरी तरह टूट गई थीं। साल 2009 में द्रौपदी मुर्मू को सबसे बड़ा झटका लगा। उनके बड़े बेटे की एक रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। उस दौरान उनके बेटे की उम्र मात्र 25 वर्ष थी। ये सदमा झेलना उनके लिए बेहद मुश्किल हो गया। इसके बाद वर्ष 2013 में उनके दूसरे बेटे की भी मृत्यु हो गई, फिर 2014 में उनके पति का भी देहांत हो गया। ऐसी स्थिति में मुर्मू के लिए खुद को संभाल पाना बेहद मुश्किल था। हालांकि उनके जानने वाले कहते हैं कि वह हर चुनौती से डील करना जानती हैं। ऐसे ही उन्होंने अपने कठिन समय से भी पार पाया। वो मेडिटेशन करने लगी। साल 2009 से ही उन्होंने मेडिटेशन के अलग-अलग तरीके अपनाए। वे लगातार माउंट आबू स्थित ब्रहमकुमारी संस्थान जाती रहीं।

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बीजेपी ने मुर्मू को उतार खेला बड़ा दांव

राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू के नाम का जब ऐलान हुआ था तब राजनीतिक जानकारों ने कहा था कि भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाकर बड़ा दांव खेला है। बीजेपी ने एक तीर से दो निशान लगाए हैं। भाजपा आदिवासियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। क्योंकि आने वाले समय में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। बता दें कि कुछ महीनों में गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं। इन राज्यों में आदिवासियों का अच्छी खासी संख्या है। लिहाजा आदिवासी मतदाता पार्टी की योजना के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।