आपातकाल: गिरफ्तारी से बचने के लिए प्रकाश से ‘सुधीर’ बन गए थे करात, ली थी एम्स छात्रावास में शरण

आपातकाल: गिरफ्तारी से बचने के लिए प्रकाश से ‘सुधीर’ बन गए थे करात, ली थी एम्स छात्रावास में शरण

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  • Publish Date - June 24, 2025 / 07:17 PM IST,
    Updated On - June 24, 2025 / 07:17 PM IST

(अंजलि ओझा)

नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) आपातकाल के समय जब बड़े बड़े विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी हो रही थी और कई लोग सलाखों के पीछे जाने से बचने की कोशिश कर रहे थे तो उनमें एक छात्र नेता भी शामिल था जिसने पुलिस को चकमा देने लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के छात्रावास में शरण ले ली थी।

इस युवा नेता ने बाद में देश की सबसे बड़ी वामपंथी पार्टी माकपा की कमान संभाली। उनका नाम प्रकाश करात है।

आपातकाल के समय करात ‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (एसएफआई) के अध्यक्ष थे।

वर्ष 2005 से 2015 तक मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव रहे करात ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गया आपातकाल ‘‘आकस्मिक प्रतिक्रिया’’ का परिणाम था।

उन्होंने दावा किया कि वर्तमान समय में ‘‘अधिनायकवाद’’ कहीं अधिक ‘‘संस्थागत’’ रूप ले चुका है।

करात आपातकाल के समय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पीएचडी के छात्र भी थे।

उन्होंने बताया कि जब आपातकाल की घोषणा की गई थी तब वह कोलकाता में थे।

करात का कहना था, ‘मैं रफी मार्ग पर विट्ठल भाई पटेल हाउस में रहता था। वहां रहने वाले कम से कम से कम छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि कई राजनीतिक दल के नेता वहां रह रहे थे, जिनमें उस समय दिल्ली के माकपा के राज्य सचिव मेजर जयपाल सिंह भी शामिल थे।’’

उनके अनुसार, पार्टी ने उन्हें भूमिगत हो जाने का सुझाव दिया, जिसके बाद उन्होंने अपना उपनाम सुधीर रख लिया।

करात ने कहा कि 21 महीने के आपातकाल के दौरान करात ने लगभग 18 महीने भूमिगत रहकर बिताए।

करात ने बताया, ‘‘पहले कुछ हफ्तों में, मुझे एहसास हुआ कि जब तक मैं जेएनयू, माकपा कार्यालय और वीपी हाउस में अपने फ्लैट से दूर रहूंगा, मैं तुलनात्मक रूप से सुरक्षित रहूंगा, क्योंकि पुलिस सक्रियता के साथ मेरी तलाश नहीं कर रही थी। इसलिए, मुझे रहने के लिए एकमात्र जगह कुछ दोस्तों के साथ मिल सकती थी, जो स्नातकोत्तर मेडिकल छात्र थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उन दिनों एम्स एक अधिक आरामदायक जगह थी, इतनी भीड़भाड़ वाली जगह नहीं थी जितनी अब है।’’

करात का कहना था कि उन्होंने एम्स के छात्रावास में शरण ली थी।

भाषा हक

हक माधव

माधव