मणिपुर में जातीय हिंसा से विस्थापित लोगों ने घर वापसी की मांग को लेकर प्रदर्शन किया
मणिपुर में जातीय हिंसा से विस्थापित लोगों ने घर वापसी की मांग को लेकर प्रदर्शन किया
इंफाल, 22 नवंबर (भाषा) मणिपुर में जातीय हिंसा से विस्थापित सैकड़ों लोगों ने शनिवार को बिष्णुपुर जिले के शिविरों से चूड़ाचांदपुर स्थित अपने घर लौटने का प्रयास किया। हालांकि, सुरक्षा बलों ने इन लोगों को बीच रास्ते में रोक दिया, जिसके बाद उन्होंने प्रदर्शन किया।
मेइती समुदाय से जुड़े ये लोग मई 2023 में राज्य में जातीय संघर्ष शुरू होने से पहले कुकी बहुल चूड़ाचांदपुर जिले में रहते थे। लगभग ढाई वर्षों से वे बिष्णुपुर जिले में स्थापित शिविरों में रह रहे हैं। बिष्णुपुर जिला मेइती बहुल इंफाल घाटी का हिस्सा है।
इसी तरह, इंफाल घाटी के जिलों में रहने वाले कुकी समुदाय के लोग पहाड़ी जिलों में चले गए हैं, जहां उनकी घनी आबादी है।
अधिकारियों ने बताया कि जब आंतरिक रूप से विस्थापित लोग (आईडीपी) चूड़ाचांदपुर की ओर बढ़े, तो सुरक्षा बलों ने उन्हें जिले की सीमा से लगभग 11 किलोमीटर दूर क्वाक्ता में रोक दिया।
अधिकारियों के मुताबिक, सुरक्षा बलों ने विस्थापितों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए सड़क पर अवरोधक और कंटीले तार लगा दिए तथा भारी वाहन खड़े कर दिए।
उन्होंने बताया कि बीच रास्ते में रोके जाने के बाद विस्थापितों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया और मांग की कि उन्हें अपने घर लौटने दिया जाए।
अधिकारियों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने सरकार की ओर से आयोजित संगाई उत्सव के खिलाफ नारे भी लगाए।
उन्होंने बताया कि शुक्रवार को भी इसी तरह के प्रयास किए गए थे और सुरक्षाबलों ने आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को फोगाकचाओ इखाई में रोक दिया था, जिसके कारण दोनों पक्षों में झड़प हो गई थी।
इंफाल वेस्ट जिले के कांचीपुर में भी महिलाओं के एक समूह ने संगाई उत्सव के खिलाफ प्रदर्शन किया।
इस बीच, कुकी-जो परिषद ने चूड़ाचांदपुर जिले में आंतरिक विस्थापितों के अपने घरों की ओर मार्च करने के प्रयासों पर चिंता जताई और इसे “उकसावे वाला कदम” करार दिया।
परिषद ने कुकी-जो समुदाय के लोगों के लिए एक केंद्र-शासित प्रदेश के निर्माण की अपनी मांग दोहराई।
मणिपुर इस साल फरवरी में एन बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से राष्ट्रपति शासन के अधीन है। सिंह ने जातीय हिंसा से निपटने के अपने प्रशासन के तौर-तरीके की आलोचना के बीच इस्तीफा दे दिया था।
मणिपुर में मई 2023 में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 260 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
भाषा पारुल सुरेश
सुरेश

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