आबकारी नीति मामला: उच्च न्यायालय ने ईडी से कारोबारी पिल्लई की अंतरिम जमानत अर्जी पर जवाब मांगा

आबकारी नीति मामला: उच्च न्यायालय ने ईडी से कारोबारी पिल्लई की अंतरिम जमानत अर्जी पर जवाब मांगा

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  • Publish Date - June 3, 2024 / 05:26 PM IST,
    Updated On - June 3, 2024 / 05:26 PM IST

नयी दिल्ली, तीन जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित दिल्ली आबकारी घोटाले से जुड़े धनशोधन के मामले में गिरफ्तार हैदराबाद के कारोबारी अरुण रामचंद्रन पिल्लई की अंतरिम जमानत अर्जी पर सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा।

पिल्लई ने अर्जी दायर कर अदालत से चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत देने का अनुरोध किया है।

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने ईडी को नोटिस जारी किया और उसे पिल्लई द्वारा जमा की गई मेडिकल रिपोर्ट को सत्यापित करने को कहा।

अदालत ने जांच एजेंसी से अंतरिम जमानत अर्जी पर एक सत्यापन रिपोर्ट के साथ जवाब दाखिल करने को कहा और अगली सुनवाई 10 जून के लिए निर्धारित कर दी।

पिल्लई को पिछले साल मार्च में ईडी ने गिरफ्तार किया था। उन्होंने कमर में दर्द की समस्या सहित चिकित्सा आधार पर आठ हफ्तों की अंतरिम जमानत का अनुरोध किया है।

अर्जी में उन्होंने दावा किया है कि केरल स्थित एक आयुर्वेदिक क्लिनिक के चिकित्सकों ने यह सुझाव दिया है कि उन्हें 21 दिन की ‘पंचकर्म चिकित्सा पद्धति’ के लिए भर्ती किए जाने और इसके बाद 21 दिन तक पूरी तरह से आराम करने की जरूरत है।

ईडी ने पिल्लई को इन आरोपों के बाद छह मार्च 2023 को गिरफ्तार किया था कि उन्होंने 2021 की आबकारी नीति तैयार किए जाने एवं इसके कार्यान्वयन के दौरान अन्य आरोपियों के साथ बैठकों में ‘साउथ ग्रुप’ का प्रतिनिधित्व किया।

‘साउथ ग्रुप’ शराब कारोबारियों और राजनीतिक नेताओं का कथित तौर पर एक गिरोह है जिन पर अपने फायदे के लिए आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का आरोप है।

आबकारी नीति 2022 में रद्द कर दी गई थी।

ईडी का दावा है कि पिल्लई भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता के एक करीबी सहयोगी हैं।

कविता तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) की बेटी हैं और मामले में न्यायिक हिरासत में हैं।

भाषा सुभाष नेत्रपाल

नेत्रपाल