कोवैक्सीन में नवजात बछड़े के सीरम के बारे में सोशल मीडिया पर तथ्य तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए: केंद्र

कोवैक्सीन में नवजात बछड़े के सीरम के बारे में सोशल मीडिया पर तथ्य तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए: केंद्र

कोवैक्सीन में नवजात बछड़े के सीरम के बारे में सोशल मीडिया पर तथ्य तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए: केंद्र
Modified Date: November 29, 2022 / 08:28 pm IST
Published Date: June 16, 2021 9:13 am IST

नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी करके कहा कि सोशल मीडिया की कुछ पोस्ट में तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर एवं अनुचित ढंग से पेश किया गया है कि स्वदेश निर्मित कोवैक्सीन में नवजात बछड़े का सीरम है।

मंत्रालय ने कहा कि नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल केवल वेरो कोशिकाएं तैयार करने और उनके विकास के लिए ही किया जाता है। गोवंश तथा अन्य पशुओं से मिलने वाला सीरम एक मानक संवर्धन संघटक है जिसका इस्तेमाल पूरी दुनिया में वेरो कोशिकाओं के विकास के लिए किया जाता है।

वेरो कोशिकाओं का उपयोग ऐसी कोशिकाएं बनाने में किया जाता है जो टीका उत्पादन में मददगार होती हैं। पोलियो, रैबीज और इन्फ्लुएंजा के टीके बनाने के लिए इस तकनीक का दशकों से इस्तेमाल होता आ रहा है।

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मंत्रालय ने कहा कि वेरो कोशिकाओं के विकसित होने के बाद उन्हें पानी और रसायनों से अच्छी तरह से अनेक बार साफ किया जाता है जिससे कि ये नवजात बछड़े के सीरम से मुक्त हो जाते हैं। इसके बाद वेरो कोशिकाओं को कोरोना वायरस से संक्रमित किया जाता है ताकि वायरस विकसित हो सके। इस प्रक्रिया में वेरो कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं। इसके बाद विकसित वायरस को भी नष्ट (निष्प्रभावी) और साफ किया जाता है।

नष्ट या निष्प्रभावी किए गए वायरस का इस्तेमाल अंतत: टीका बनाने के लिए किया जाता है। बयान के मुताबिक अंतिम रूप से टीका बनाने के लिए बछड़े के सीरम का बिलकुल भी इस्तेमाल नहीं किया जाता। उसने कहा, ‘‘अत: अंतिम रूप से जो टीका (कोवैक्सीन) बनता है उसमें नवजात बछड़े का सीरम कतई नहीं होता और यह अंतिम टीका उत्पाद के संघटकों में शामिल नहीं है।’’

भाषा

मानसी शाहिद

शाहिद


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