समुद्र में ‘तैरता द्वीप’ है विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत, स्वदेशी पोत की खूबियां जानकर रह जाएंगे हैरान

समुद्र में ‘तैरता द्वीप’ है विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत, स्वदेशी पोत की खूबियां जानकर रह जाएंगे हैरान Aircraft carrier INS Vikrant is a 'floating island' in the sea You will be surprised to know the merits of indigenous ship

समुद्र में ‘तैरता द्वीप’ है विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत, स्वदेशी पोत की खूबियां जानकर रह जाएंगे हैरान
Modified Date: November 29, 2022 / 08:52 pm IST
Published Date: August 14, 2021 12:25 pm IST

Aircraft carrier INS Vikrant

कोच्चि, 14 अगस्त ।  भारत रविवार को अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा और इस उपलक्ष्य पर दक्षिणी नौसेना कमान (एसएनसी) ने इंजीनियरिंग चमत्कार एवं देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी) पोत आईएनएस विक्रांत की झलक पेश की। आईएसी विक्रांत ने आठ अगस्त को अपना पहला समुद्री परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया था, जिसके बाद देश में बने सबसे बड़े एवं सबसे जटिल युद्धपोत ने कोच्चि में मीडियाकर्मियों के लिए शुक्रवार को अपने दरवाजे खोले। दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल ए के चावला ने 40,000 टन वजनी युद्धपोत पर कहा कि पांच दिवसीय परीक्षण देश के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण का एक ‘‘ज्वलंत उदाहरण’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘यह सबसे जटिल युद्धपोतों का डिजाइन बनाने और उनके निर्माण की भारतीय नौसेना की क्षमता को प्रदर्शित करता है। यह इतनी बड़ी और जटिल पोत-निर्माण परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करने की हमारे पोत-निर्माताओं और उद्योगों की क्षमता को भी दर्शाता है।’’ लगभग 23,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित आईएएस को नौसेना ने ‘‘ऐतिहासिक’’ बताया है, क्योंकि इसने भारत को अत्याधुनिक विमान वाहक बनाने की क्षमता रखने वाले देशों के चुनिंदा समूह में शामिल कर दिया है।

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एक वरिष्ठ इलेक्ट्रिकल निगरानी अधिकारी कमांडर श्रीजीत ने बताया कि ‘‘पोत में इस्तेमाल की जाने वाली विद्युत से आधा कोच्चि शहर रोशन हो सकता’’ है। उन्होंने कहा कि पोत में उत्पन्न होने वाली बिजली की सटीक जानकारी नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह ‘‘खुफिया जानकारी’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘भेल (भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) सहित सभी प्रमुख विद्युत उद्योगों ने इस पोत के निर्माण में योगदान दिया है। हमने इसमें लगभग 2,600 किलोमीटर लंबी केबल का इस्तेमाल किया है।’’ आईएसी के ‘डिजाइनर’ वास्तुकार मेजर मनोज कुमार ने विमान वाहक संबंधी तथ्यात्मक विवरण साझा किया और कहा, ‘‘इसमें इस्तेमाल किए गए इस्पात से हम तीन एफिल टावर बना सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पोत में दो ऑपरेशन थिएटर (ओटी) के साथ पूरी तरह से क्रियाशील चिकित्सकीय परिसर है। पोत पर कम से कम 2,000 कर्मियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक रसोई है। हमारे पास रसोई में स्वचालित मशीनें हैं। हम हैंगर में 20 विमान खड़े कर सकते हैं।’’

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Aircraft carrier INS Vikrant

पोत की दिन-प्रतिदिन की प्रगति का आकलन करने वाले युद्धपोत की देखरेख करने वाली टीम का हिस्सा अनूप हमीद ने कहा कि यह एक ‘‘तैरता द्वीप’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘विमान को छोटे रनवे के कारण उड़ान भरने की सुविधा के लिए पर्याप्त बिजली उत्पन्न करने की आवश्यकता होती है और हमें उतरने वाले विमानों को रोकने के लिए एक उचित तंत्र की भी आवश्यकता है। हमें इसी के अनुरूप बिजली और समन्वय की आवश्यकता है। इस पोत में सब सुविधाएं हैं। यह एक तैरता द्वीप है।’’ उन्होंने बताया कि जहाज में उत्पन्न बिजली का उपयोग रडार प्रणाली, संचार, नौवहन, प्रणोदन बिजली उत्पादन, स्टीयरिंग, एयर कंडीशनिंग, खाद्य भंडारण, सुरक्षा से संबंधित प्रणालियों और चिकित्सा प्रणालियों सहित विद्युत प्रणालियों के लिए किया जाता है। मीडिया टीम ने उन महिला अधिकारियों से भी मुलाकात की, जो उस समूह का हिस्सा हैं जिसने पहला समुद्री परीक्षण किया था। लेफ्टिनेंट कमांडर जेनेट मारिया ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा, ‘‘नौसेना और शिपयार्ड दोनों की कम से कम 25 महिला अधिकारी आईएसी से जुड़ी हैं। उनमें से छह ने समुद्री परीक्षण में हिस्सा लिया है। इनमें से दो महिला अधिकारी नौसेना और चार सीएसएल से हैं।’’

कोचीन शिपयार्ड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के सलाहकार सुरेश बाबू ने मीडिया को बताया कि समुद्री परीक्षण ने सीएसएल का कौशल साबित किया। बाबू ने कहा, ‘‘हमें नौसेना से दो और ऑर्डर मिले हैं। हमें एक पनडुब्बी रोधी युद्धपोत और अगली पीढ़ी के मिसाइल पोत बनाने के ऑर्डर मिले हैं। ये 16,000 करोड़ रुपये के दो नए ऑर्डर हैं।’’ उन्होंने कहा कि आईएसी का निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) की डिजाइन टीम के लिए एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने कहा, ‘‘डिजाइन प्रक्रिया और निर्माण एक साथ हुआ। डिजाइनिंग टीम के लिए यह बहुत चुनौतीपूर्ण था।’’ बाबू ने कहा, ‘‘सीएसएल वर्तमान में देश का एकमात्र शिपयार्ड है जो प्रमुख विमानवाहक पोतों की मरम्मत कर सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आईएनएस विराट की यहां करीब 13 बार मरम्मत की गई। हमारे पास डिजाइनरों की 300 सदस्यीय मजबूत टीम है और सीएसएल की उत्पादकता ने हमें ऑर्डर हासिल करने में मदद की।’’

Aircraft carrier INS Vikrant

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पहले आईएनएस विक्रांत ने 1971 के युद्ध के दौरान भारत की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ‘विक्रांत’ को भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के उपलक्ष्य में होने वाले समारोहों के साथ नौसेना में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इस युद्धपोत से मिग-29 के लड़ाकू विमान, कामोव-31 हेलीकॉप्टर, एमएच-60आर बहु-भूमिका हेलीकॉप्टर उड़ान भर सकेंगे। इसमें 2,300 से अधिक डिब्बे हैं, जिन्हें चालक दल के लगभग 1,700 लोगों के लिए डिजाइन किया गया है। इनमें महिला अधिकारियों के लिए विशेष कैबिन भी शामिल हैं। यह विमानवाहक जहाज करीब 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। इसकी ऊंचाई 59 मीटर है। इसका निर्माण 2009 में शुरू हुआ था। इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने निर्मित किया है। भारत के पास अभी सिर्फ एक विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रमादित्य’ है।

 


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