सीबीआई के पूर्व निदेशक का अंतिम संस्कार

सीबीआई के पूर्व निदेशक का अंतिम संस्कार

  •  
  • Publish Date - October 8, 2020 / 12:36 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:37 PM IST

शिमला, आठ अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व निदेशक अश्विनी कुमार का परिवार, दोस्तों, हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं की मौजदूगी में यहां बृहस्पतिवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया। उन्होंने अपने घर में कथित रूप से फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली थी।

सीबीआई के पूर्व निदेशक 69 वर्षीय कुमार ने नगालैंड के राज्यपाल के तौर पर भी सेवा दी थी। सीबीआई के निदेशक के तौर पर उन्होंने आरुषि तलवार हत्याकांड मामले की जांच की भी अगुवाई की थी। उन्होंने एक पत्र छोड़ा है, जिसमें कहा गया है कि वह ” नए सफर की शुरुआत कर रहे हैं।”

कुमार के बेटे अभिषेक ने चिता को मुखाग्नि दी। उनके अंतिम संस्कार में ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी, विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री और पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू समेत अन्य लोगों ने हिस्सा लिया।

दिल्ली में, सीबीआई ने अपने पूर्व निदेशक की याद में एक शोक सभा आयोजित की।

1973 बैच के आईपीएस अधिकारी के परिवार में पत्नी और बेटा है।

अधिकारियों ने बताया कि बृहस्पतिवार को उनके शव का अनिवार्य मेडिकल परीक्षण करने के बाद शहर के एक अस्पताल के अधिकारियों ने अंतिम चिकित्सा रिपोर्ट के लिए उनका विसरा सुरक्षित रख लिया। इसके बाद उनकी पार्थिव देह को अंतिम संस्कार के लिए परिवार को सौंप दिया गया।

उन्होंने बताया कि शुरुआती जांच से संकेत मिलता है कि बीते छह महीने (मार्च में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन) के दौरान घर में रहने की वजह से कुमार की जिंदगी में अचानक से बदलाव हुए जो खुदकुशी का संभवतः कारण हो सकते हैं। मगर पुलिस का कहना कि वह मामले को सभी कोणों से देख रही है।

डीजीपी कुंडू ने बुधवार रात को पीटीआई-भाषा से कहा था, ‘ हमने एक सुसाइड नोट बरामद किया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि वह एक नई यात्रा की शुरुआत कर रहे हैं। उनके परिवार के सदस्य उस समय घर में ही मौजूद थे , जब वह कमरे में गए, इसे बंद किया और लायलॉन की रस्सी से फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। परिवार को किसी तरह की गड़बड़ी का शक नहीं है। हमने कमरे में से सामान को जब्त किया है। ‘

बुधवार की शाम कुमार ने छोटा शिमला के पास ब्रोकहर्स्ट में स्थित अपने घर में कथित रूप से फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली थी।

डीजीपी, शिमला के पुलिस अधीक्षक मोहित चावला और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ निजी तौर पर मामले की निगरानी कर रहे हैं। इसमें फोरेंसिक टीम भी शामिल है।

एजेंसी के पूर्व सहकर्मियों और मौजूदा अधिकारियों ने कुमार को मृदु भाषी और सज्जन व्यक्ति के तौर पर याद किया है।

प्रदेश के नाहन के रहने वाले कुमार 2008 में सीबीआई के निदेशक नियुक्त किए गए थे। उन्होंने विजय शंकर का स्थान लिया था। पद के लिए कुमार के नाम का ऐलान हैरान करने वाला था, क्योंकि सीबीआई निदेशक बनने की दौड़ में उनसे वरिष्ठ दो अफसर भी शामिल थे। यह उस समय की बात है जब एजेंसी आरुषि हत्याकांड को लेकर विवादों में घिरी थी।

सीबीआई निदेशक के तौर पर 2008 में पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कुमार ने कहा था, ‘ मुझे टॉम एंड जैरी (कार्टून) पसंद है… पुलिस एक बिल्ली की तरह हैं जबकि अपराधी चूहा है। इसलिए टॉम कभी भी जैरी को नहीं छोड़ता है। ‘

कुमार ने नोएडा में दंत चिकित्सक दंपति राजेश और नुपूर तलवार की बेटी आरूषि तलवार और उनके घरेलू सहायक हेमराज के दोहरे हत्याकांड की जांच को लेकर नाखुशी जाहिर की थी।

कुमार ने इस सनसनीखेज़ हत्याकांड की जांच को तार्किक निष्कर्ष पर ले जाने के लिए इसे अपने हाथ में लिया था।

सीबीआई प्रमुख के तौर पर उनके ही कार्यकाल में इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट तैयार हुई थी। इसके आधार पर बाद में आरूषि के माता-पिता को गिरफ्तार किया गया और उन्हें दोषी ठहराया गया। वे अब जमानत पर बाहर हैं और उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई चल रही है।

वह प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले विशेष सुरक्षा समूह में भी सेवा दे चुके थे। 2013 में संप्रग सरकार ने उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया था।

अधिकारियों ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के पूर्व डीजीपी कुमार फिलहाल शिमला के एक निजी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर थे।

भाषा

नोमान नरेश

नरेश