नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) संसद ने बृहस्पतिवार को 2024-25 के लिए आम बजट एवं जम्मू-कश्मीर के बजट तथा उनसे जुड़े विनियोग विधेयकों को मंजूरी दे दी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में वित्त विधेयक 2024-25 तथा जम्मू कश्मीर से जुड़े विनियोग विधेयक पर हुई संयुक्त चर्चा का आज जवाब दिया, जिसके बाद उच्च सदन ने इन्हें ध्वनिमत से लोकसभा को लौटा दिया। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजटीय प्रक्रिया पूरी हो गयी।
सीतारमण ने नरेन्द्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला केंद्रीय बजट 23 जुलाई को लोकसभा में पेश किया था।
लोकसभा ने बुधवार को 45 सरकारी संशोधनों के साथ ध्वनिमत से ‘वित्त (संख्यांक 2) विधेयक, 2024’ को पारित किया था। राज्यसभा में आज इस पर चर्चा की गयी, लेकिन उच्च सदन को संविधान के अनुसार किसी ‘धन विधेयक’ को खारिज करने का अधिकार नहीं है और वह ऐसे विधेयक केवल लौटा सकता है।
वित्त मंत्री ने उच्च सदन में वित्त विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने कृषि एवं ग्रामीण विकास सहित अर्थव्यवस्था के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों के बजटीय प्रावधानों में पर्याप्त वृद्धि की है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बजट में किसी भी क्षेत्र से समझौता किए बिना कल्याणकारी कार्यों के वित्त पोषण, राजकोषीय खर्च और पूंजीगत व्यय में संतुलन कायम किया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने 2021 में राजकोषीय घाटे को कम करने का जो लक्ष्य रखा है, इस बजट में उसका भी पूरा ध्यान रखा गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बजट में विकास की परियोजनाओं के लिए पर्याप्त आर्थिक आवंटन करने के साथ साथ क्षेत्रीय आकांक्षाओं को भी पूरा किया है।
उन्होंने घरेलू बचत में कमी को लेकर सदस्यों की चिंताओं का जिक्र करते हुए कहा कि बचत में कमी के कई कारण हो सकते हैं और लोग एक से अधिक विकल्पों में निवेश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जहां लोगों को बेहतर रिटर्न मिलता है, वे उसमें निवेश करने लगे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मध्यम वर्ग अब पूंजी बाजार में निवेश कर रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2021 से मोदी सरकार का दृष्टिकोण सभी जीवनरक्षक दवाओं को आयात शुल्क से धीरे-धीरे राहत देना है, जो विशेष रूप से व्यक्तिगत उपयोग के लिए आयात की जाती हैं।
उन्होंने कहा, ‘…हमने उन सभी को पहले ही छूट दे दी है।’
वित्त मंत्री ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि संसद स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर लगने वाली जीएसटी (माल एवं सेवा कर) में कटौती नहीं कर सकती और इस संबंध में कोई फैसला जीएसटी परिषद द्वारा ही लिया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 2017 में जीएसटी व्यवस्था लागू होने से पहले राज्यों ने बीमा प्रीमियम पर कर लगाया था।
चर्चा के दौरान विपक्ष के कई सदस्यों ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी में कटौती करने की मांग की थी।
वित्त मंत्री ने कहा कि संसद जीएसटी दरें तय करने का मंच नहीं है। इस मामले को जीएसटी परिषद में ले जाना जाना होगा, जिसमें राज्यों का दो-तिहाई प्रतिनिधित्व है।
उन्होंने कहा कि आमतौर पर जीएसटी परिषद अपने फैसले सर्वसम्मति से करती है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम से मिलने वाली राशि का करीब 71 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को ही मिलता है।
उन्होंने एलटीसीजी (दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ) कर में संशोधन किए जाने का भी जिक्र किया। इसके तहत 23 जुलाई, 2024 से पहले खरीदी गई संपत्तियों की बिक्री पर इंडेक्सेशन यानी मुद्रास्फीति के प्रभाव का लाभ बहाल कर दिया गया है।
अब जिन व्यक्तियों या हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) ने 23 जुलाई, 2024 से पहले घर खरीदा है, वे नयी योजना के तहत एलटीसीजी कर का भुगतान करने का विकल्प चुन सकते हैं। इंडेक्सेशन के बिना उन्हें 12.5 प्रतिशत और इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20 प्रतिशत कर का भुगतान करने की जरूरत होगी। वे उस विकल्प को चुन सकते हैं, जिसमें कर की दर कम हो।
भाषा अविनाश सुरेश
सुरेश