गिग कर्मचारी कम वेतन, थका देने वाले काम के घंटे और असुरक्षा की वजह से आंदोलन को मजबूर

गिग कर्मचारी कम वेतन, थका देने वाले काम के घंटे और असुरक्षा की वजह से आंदोलन को मजबूर

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  • Publish Date - December 31, 2025 / 08:04 PM IST,
    Updated On - December 31, 2025 / 08:04 PM IST

नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) गिग कर्मचारी काम के लंबे घंटे, घटते प्रोत्साहन, कम मासिक आय और बीमा या चिकित्सा सहायता की गैर मौजूदगी की वजह से सामान्य जिंदगी बसर करने में भी संघर्ष का सामना कर रहे हैं और इन्हीं परेशानियों ने उन्हें विरोध करने और मजबूत सामाजिक सुरक्षा उपायों की मांग करने के लिए प्रेरित किया है।

कई गिग कर्मचारियों ने बताया कि वे मामूली दिहाड़ी के लिए दिन में 11 से 12 घंटे काम करते हैं, और चोट लगने या बीमार होने की स्थिति में कोई सहायता उपल्ब्ध नहीं होती।

‘गिग’ कर्मचारी काम के आधार पर भुगतान पाने वाले कर्मचारियों को कहा जाता है। ये अकसर ऑनलाइन आपूर्ति मंचों के लिए काम करते हैं।

पिछले आठ साल से ऑनलाइन खरीददारी करने वाले ग्राहकों के घर तक सामान पहुंचाने का काम कर रहे संजीव कुमार शर्मा ने बताया कि वह रोजाना लगभग 1,300 रुपये कमाते हैं, जबकि प्रोत्साहन राशि में लगातार कमी आई है।

शर्मा ने कहा, ‘‘हम सुबह से लेकर आधी रात तक काम करते हैं, लेकिन अगर एक भी ऑर्डर पूरा नहीं होता तो प्रोत्साहन राशि काट ली जाती है। हमारी मासिक आय लगभग 10,000 से 15,000 रुपये है। किराया और बच्चों की स्कूल फीस चुकाने के बाद हमारे पास कुछ भी नहीं बचता और कोई बचत भी नहीं है। हमें एक निश्चित वेतन और बीमा चाहिए।’’

इस असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले एक अन्य कर्मचारी महेश ने कहा कि दैनिक लक्ष्यों को पूरा करना अनिवार्य कर दिया गया है जिसकी वजह से उन्हें अपनी निर्धारित कार्य अवधि से अधिक समय तक काम करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम सुबह ही काम कर पर निकल जाते हैं और हमारे बच्चे सुबह हमें मुश्किल से ही देख पाते हैं। त्योहारों पर भी, जब दूसरे लोग जश्न मनाते हैं, हम काम करते रहते हैं। हाल ही मैं दुर्घटना का शिकार हो गया था और मेरी उंगली की हड्डी टूट गई, लेकिन कंपनी ने कोई चिकित्सा सहायता प्रदान नहीं की।’’

गिग कर्मचारी शाकिर रजा ने गरिमा और सुरक्षा के मुद्दों को रेखांकित करते हुए बताया कि उन्हें अक्सर ग्राहकों से अनुचित मांगों का सामना करना पड़ता है।

रजा ने कहा, ‘‘अत्यधिक गर्मी में भी हमें चौथी या पांचवीं मंजिल पर चढ़ने के लिए कहा जाता है, अन्यथा ऐप पर शिकायतें दर्ज कर दी जाती हैं। अगर कोई ग्राहक ऑर्डर रद्द करता है, तो हम पर जुर्माना लगाया जाता है।’’ उन्होंने कंपनियों और ग्राहकों से उनकी स्थिति को समझने का आग्रह किया।

इन चिंताओं के बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)की सांसद कमलजीत सहरावत ने कहा कि सरकार गिग कर्मचारियों और असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगातार गिग कर्मचारियों के प्रति चिंता व्यक्त की है, जो आधुनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गए हैं।

गिग कर्मचारी संघ के सचिव नितेश कुमार दास ने कहा कि दिल्ली में गिग कर्मचारी सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन नहीं कर रहें बल्कि वे एक समन्वित आकस्मिक हड़ताल कर रहे हैं।

दास ने बताया कि इसका अभिप्राय है कि कर्मचारी सामूहिक रूप से व्यस्त समय में ‘लॉग ऑफ’ कर रहे हैं और व्यस्त समय के दौरान, विशेष रूप से दोपहर और रात के खाने के समय, वे ऑर्डर स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य यह उजागर करना है कि मंच श्रमिकों की निरंतर उपलब्धता पर कैसे निर्भर करते हैं, जबकि उन्हें बुनियादी सुरक्षा से वंचित रखते हैं।

आम आदमी पार्टी (आप)के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आज गिग कर्मचारियों ने अपनी शिकायतों को उजागर करने के लिए हड़ताल की घोषणा की है। मैंने महीने की शुरुआत में संसद में उनके मुद्दों को उठाया था और मंचों से जिम्मेदार प्रतिक्रिया की उम्मीद की थी।’’

उन्होंने ऑनलाइन डिलीवरी कंपनियों के प्रबंधन से तत्काल हस्तक्षेप करने, बातचीत शुरू करने और निष्पक्ष एवं मानवीय समाधान निकालने का आग्रह किया।

गिग एंड प्लेटफॉर्म सर्विस वर्कर्स यूनियन ने पूरे भारत में गिग और ऑनलाइन मंच आधारित कर्मियों के अधिकारों, कल्याण और गरिमा से संबंधित मांगों को सामूहिक रूप से उठाने के लिए नव वर्ष की पूर्व संध्या पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की।

भाषा धीरज पवनेश

पवनेश