मुंबई, 31 दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को कहा कि क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत ऋण जैसे असुरक्षित माने जाने वाले कर्जों के पुनर्भुगतान में चूक अब कुल खुदरा कर्ज पुनर्भुगतान चूक का आधा से अधिक हो चुकी है।
आरबीआई की छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के मुताबिक, निजी क्षेत्र के बैंकों में इस तरह के असुरक्षित कर्जों में दबाव सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तुलना में अधिक देखा जा रहा है।
हालांकि, समग्र स्तर पर बिना गारंटी वाले खुदरा कर्ज का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) अनुपात 1.8 प्रतिशत पर बना हुआ है जो कुल खुदरा कर्जों के 1.1 प्रतिशत एनपीए अनुपात के मुकाबले अभी भी ‘स्थिर’ माना गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, असुरक्षित खुदरा कर्जों में चूक के मामले अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के कुल खुदरा कर्ज चूक का 53.1 प्रतिशत रहे। वहीं बैंक समूहों के बीच, निजी बैंकों की हिस्सेदारी इसमें सबसे अधिक रही।
आरबीआई ने कहा कि निजी बैंकों के कुल कर्ज भुगतान चूक में 76 प्रतिशत हिस्सा बिना गारंटी वाले कर्ज का रहा, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में यह हिस्सेदारी सिर्फ 15.9 प्रतिशत रही।
केंद्रीय बैंक ने इस क्षेत्र में वित्तीय-प्रौद्योगिकी (फिनटेक) कंपनियों की भूमिका का भी उल्लेख करते हुए कहा कि जिन उधारकर्ताओं ने पांच या उससे अधिक संस्थानों से बिना गारंटी वाले कर्ज ले रखे हैं, उनमें कर्ज चुकाने में कमजोरी ज्यादा पाई गई।
रिपोर्ट के अनुसार, फिनटेक कंपनियों के कुल कर्ज पोर्टफोलियो में 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बिना गारंटी वाले कर्ज का है और इनमें से आधे से अधिक कर्ज 35 वर्ष से कम उम्र के कर्जदारों को दिए गए हैं।
सितंबर 2024 से सितंबर 2025 के बीच फिनटेक कंपनियों के कर्ज में 36.1 प्रतिशत की तेज वृद्धि दर्ज की गई, जिसमें व्यक्तिगत कर्ज का हिस्सा सबसे अधिक रहा।
आरबीआई ने कहा कि बैंकों के स्तर पर बिना गारंटी वाले खुदरा कर्ज में वृद्धि के संकेत दोबारा दिखने लगे हैं जबकि बड़ी कंपनियों को दिया जाने वाला कर्ज अभी भी सुस्त बना हुआ है।
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