जीएम सरसों : जोखिम कारक से चिंतित हैं, उच्चतम न्यायालय ने कहा |

जीएम सरसों : जोखिम कारक से चिंतित हैं, उच्चतम न्यायालय ने कहा

जीएम सरसों : जोखिम कारक से चिंतित हैं, उच्चतम न्यायालय ने कहा

:   Modified Date:  January 24, 2023 / 08:54 PM IST, Published Date : January 24, 2023/8:54 pm IST

नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि आनुवंशिक रूप से संवर्धित (जीएम) सरसों को पर्यावरणीय रूप से जारी करने के लिए केंद्र द्वारा दी गई सशर्त मंजूरी की बात आती है तो वह किसी भी अन्य चीज की तुलना में जोखिम कारकों के बारे में अधिक चिंतित है।

पिछले साल 25 अक्टूबर को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रेजल कमेटी (जीईएसी) ने ट्रांसजेनिक सरसों संकर डीएमएच-11 और बार्नेज, बारस्टार तथा बार जीन युक्त मूल लाइन के पर्यावरणीय रिलीज को मंजूरी दे दी ताकि उनका उपयोग नए संकर नस्ल विकसित करने के लिए किया जा सके।

शीर्ष अदालत कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स और गैर सरकारी संगठन ‘जीन कैंपेन’ की अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें किसी भी आनुवंशिक रूप से संशोधित प्रजाति (जीएमओ) को पर्यावरण में जारी पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है जब तक कि सार्वजनिक क्षेत्र में व्यापक, पारदर्शी और कठोर जैव-सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत स्वतंत्र विशेषज्ञ निकायों की एजेंसियों द्वारा जांच और इनके परिणाम सार्वजनिक नहीं कर दिए जाते हैं।

न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने इस मामले पर मंगलवार को सुनवाई की। केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने ट्रांसजेनिक मस्टर्ड हाइब्रिड डीएमएच-11 को पर्यावरण के लिए जारी करने की सशर्त मंजूरी की समयसीमा का जिक्र किया और कहा कि सभी प्रासंगिक पहलुओं पर विचार किया गया। पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘वास्तव में, यह जोखिम कारक हैं जो हमें अधिक चिंतित करते हैं।’’ यह सुनवाई अगले सप्ताह जारी रहेगी।

पिछले साल नवंबर में शीर्ष अदालत में दाखिल अपने अतिरिक्त हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि यह सशर्त मंजूरी ‘‘लंबी और विस्तृत नियामक समीक्षा प्रक्रिया’’ के बाद दी गई, जो 2010 में शुरू हुई थी।

हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र ने जैव-सुरक्षा और स्वास्थ्य खतरों के सभी पहलुओं पर ‘‘गहराई से’’ विचार करने के बाद पर्यावरणीय रिलीज पर निर्णय लिया। पिछले महीने इस मामले में दलीलों के दौरान, शीर्ष अदालत ने केंद्र से पूछा था कि क्या जीएम सरसों के पर्यावरणीय रिलीज के लिए कोई अनिवार्य कारण था, अन्यथा विफल होने पर देश बर्बाद हो जाएगा।

केंद्र ने शीर्ष अदालत से कहा था कि कार्यकर्ताओं, विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों द्वारा जीएम फसलों का विरोध वैज्ञानिक तर्क पर आधारित होने के बजाय ‘‘वैचारिक’’ है। केंद्र ने कहा था कि सरकार ने अदालत द्वारा नियुक्त तकनीकी विशेषज्ञ समिति (टीईसी) के अनुशंसित प्रारूप के अनुसार सभी नियामक प्रक्रियाओं का पालन किया है।

रोड्रिग्स की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा था कि जीएम सरसों के बीज पर्यावरण मंजूरी मिलने के बाद अंकुरित होना शुरू हो गए हैं और इससे पहले कि पौधे कुछ हफ्तों में बढ़ना शुरू करें, पर्यावरण को अपरिवर्तनीय रूप से दूषित होने से बचाने के लिए उन्हें जड़ से उखाड़ देना चाहिए।

भाषा आशीष माधव

माधव

 

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