अक्टूबर 1984 को इंदिरा सागर बांध की आधारशिला रखने आई इंदिरा गाँधी की 7 दिन बाद ही हत्या हो गई थी। 19 नवम्बर 1984 को जहां उन्होंने भाषण दिया था वहीं उनकी प्रतिमा तब से अब तक अपने अनावरण की राह देख रही है।
देश की लोह महिला और पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 100वीं जन्मशताब्दी पर देश में तरह-तरह के आयोजन और तरह-तरह के कार्यक्रमों का दौर जारी है। किसी ने अपने ट्विटर पर उस महान राष्ट्रनेता को याद किया तो किसी ने अपनी प्रोफाइल पिक्चर चेंज करके। लेकिन देश में एक जगह ऐसी भी है जहां अपने स्वर्गवास के 33 साल बाद भी इंदिरा राह देख रखी, कपड़े में लिपटी उनकी 33 साल पुरानी प्रतिमा रास्ते से निकलने वालों से गुहार लगा रही, वह कहती हांेगी कि समय मिले तो मुझ पर ढ़ंका यह कपड़ा हटा देना। लेकिन कोई सुनने वाला नहीं।
इंदिरा गांधी की आज 33वीं पुण्यतिथि
इंदिरा गांधी के 100वें जन्म दिवस पर हमें यह इसलिए लिखना पड़ रहा है। क्योंकि यह भी एक सच है, देश का सच, इंदिरा की महानता का सच, यह भी उतना ही सही है जिताना की उनके जन्म दिवस पर उनकी समाधी पर देश के दिग्गज नेताओं द्वारा पुष्प अर्पण करना। फर्क सिर्फ इतना है कि लुटियंस जोन से चलने वाले हमारे दिग्गज मीडिया को सिर्फ वहीं दिखाना होता है जो सत्ता और सत्ता के नजदीक रहने के लिए माकूल हो। आज से 33 साल पहले अपने स्वर्गवास से ठीक 7 दिन पहले देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मध्यप्रदेश के इंदिरासागर बांध की नींव रखी थी। उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि वह देश के इस सबसे बड़े जलाशय को देखने के लिए जीवीत नहीं रहेंगी। उनकी मौत के बाद वहां जहां से उन्होंने भाषण दिया था उनकी एक मुर्ति का निर्माण किया गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अष्टधातु से बनी इंदिरा की प्रतिमा तो उनके भाषण स्थल पर खड़ी कर दी। लेकिन उसके अनावरण के लिए राजीव गांधी का इंतजार करना शुरू किया। और राजीव अपनी व्यस्तता के कारण समय नहीं निकाल पाए। आज भी इंदिरा गांधी अपने अनावरण की राह ताक रही है। इसलिए हमें लिखना पढ़ा आज भी बेटे की राह ताक रही इंदिरा।
कांग्रेस मुख्यालय पर अब सिर्फ इंदिरा गांधी, छुटभय्ये नेताओं की छुट्टी
अब तो प्रदेश में भाजपा की सरकार है लेकिन दोष का भोगी कौन हो, कौन अपने माथे पर इंदिरा के इंतजार का सेहरा बांधे। शायद यही वह कारण है कि पिछले दिनों खंडवा आए कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से जब इस मामले पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने इंदिरा को अपना प्रेरणा स्त्रोत तोे बताया लेकिन मूर्ति के अनावरण के बारे में कुछ कहने से मना कर गए। अब हम इस उम्मीद के साथ यह खबर लिख रहे है कि शायद इंदिरा की 100वी जन्म शताब्दी के मौके पर कोई हमारे माध्यम से ही उनके 33 साल के लंबे इंतजार को खत्म कर दें।
अमन वर्मा, IBC24