Gyanvapi Case : ज्ञानवापी केस के लिए बड़ा दिन, कार्बन डेटिंग मामले पर आ सकता है अहम फैसला

Gyanvapi Case : ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की लंबाई, चौड़ाई, गहराई, उम्र और आसपास की एरिया की कार्बन डेटिंग या अन्य आधुनिक तरीके से जांच पर शुक्रवार को जिला जज की अदालत का आदेश आ सकता है।

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  • Publish Date - October 7, 2022 / 12:00 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:58 PM IST

 Gyanvapi Case : वाराणसी – ज्ञानवापी मस्जिद में एक नया मोड़ आने की आशंका जताई जा रही है। ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की लंबाई, चौड़ाई, गहराई, उम्र और आसपास की एरिया की कार्बन डेटिंग या अन्य आधुनिक तरीके से जांच पर शुक्रवार को जिला जज की अदालत का आदेश आ सकता है। जिला जज की अदालत में ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन व अन्य विग्रहों के संरक्षण की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। इसमें 29 सितंबर को हुई पिछली सुनवाई में कार्बन डेटिंग पर वादी पक्ष ही आमने-सामने आ गया था। जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में चार महिला वादियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु जैन ने मांग की है कि शिवलिंग के नीचे अरघे और आसपास की जांच कराई जाए।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

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Gyanvapi Case : श्रृंगार गोरी नियमित दर्शन मामले में कुल 5 वादी महिलाएं हैं, जिनमें से चार वादी महिलाओं के वकील विष्णु शंकर जैन ने सर्वे के दौरान वजू खाने में मिले शिवलिंग के कार्बन डेटिंग की मांग के लिए याचिका दी थी। जिसका मुख्य वादिनी राखी सिंह के वकील ने आधिकारिक तौर पर विरोध किया था।

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Gyanvapi Case : पिछली सुनवाई में दोनों पक्षों के बीच जमकर बहस भी हुई थी सुनवाई पूरी होने के बाद जिला जज अजय कृष्ण विश्वास ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। रखी सिंह के वकील ने इस प्रक्रिया में शिवलिंग के क्षतिग्रस्त होने खतरा बतया साथ ही धार्मिक भावनाएं आहत होने का भी हवाला दिया।

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Gyanvapi Case : दरअसल, इस मामले को लेकर कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराया गया था। सर्वे के दौरान मस्जिद के वजू खाने में एक शिवलिंग नुमा आकृति मिली थी। जिसे हिंदू पक्ष ने आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग बताया था ।मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बता रहा था। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन के मुताबिक वैज्ञानिक पद्धति से मिले कथित शिवलिंग की आयु की जांच के बाद इस मामले में नया मोड़ आ सकता है।

 

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