Haryana Politics: संकट में नायब सैनी सरकार? तीन MLA के समर्थन वापसी से गहराया सियासी संकट
Haryana Politics: संकट में नायब सैनी सरकार? तीन MLA के समर्थन वापसी से गहराया सियासी संकट Nayab Saini Government
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Haryana Politics: हरियाणा में नायब सैनी सरकार (Nayab Saini Government) के सामने फिर से सियासी संकट गहराया है। दरअसल, हरियाणा में लोकसभा चुनाव से पहले बड़े घटनाक्रम में 3 निर्दलीय विधायकों रणधीर गोलन, सोमबीर सांगवान और धर्मपाल गोंदर ने नायब सैनी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। इतना ही नहीं, सभी तीनों विधायकों ने अपना समर्थक कांग्रेस को देने की घोषणा भी कर दी है। वहीं, अब इससे पूरे प्रदेश में राजनीतिक माहौल गरमा गया है।
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अल्पमत में आई नायब सरकार
विधायकों की इस घोषणा के चलते नायब सरकार अल्पमत में आ गई है, लेकिन सरकार को अभी कोई खतरा नहीं है। वहीं, बादशाहपुर के निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद के भी इन विधायकों के साथ आने का दावा किया गया था, लेकिन शाम को दौलताबाद नहीं आए। देर शाम तक इन तीनों विधायकों ने विधानसभा स्पीकर को भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने का अपना लिखित पत्र नहीं दिया है, लेकिन इससे पूरे प्रदेश में राजनीतिक माहौल गरमा गया है।
बीजेपी को नहीं कोई खतरा
बता दें कि पूर्व मुख्मयंत्री मनोहर लाल के इस्तीफा देने से पहले 22 फरवरी 2024 को कांग्रेस बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। 22 फरवरी के बाद से अगले छह महीने तक नायब सिंह सैनी की सरकार के खिलाफ कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। इस हिसाब से अल्पमत में होने के बावजूद सरकार को 22 अगस्त तक कोई खतरा नहीं है।
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स्पीकर को देना होगा समर्थन वापसी का पत्र
वर्तमान में 88 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए अब 45 विधायकों की जरूरत है, जबकि बीजेपी के पास फिलहाल यह आंकड़ा पूरा नहीं हो रहा है। जिन तीन निर्दलीय विधायकों ने सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की घोषणा की है, उन्होंने अभी विधानसभा स्पीकर को लिखकर नहीं दिया है। उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ दिनों में वह लिखित में भाजपा से अपना समर्थन वापस लेने संबंधी पत्र स्पीकर को सौंप सकते हैं।
लागू होगा राष्ट्रपति शासन
नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि जनभावना को ध्यान में रखकर सही समय पर लिया गया सही फैसला रंग जरूर लाएगा। आज जनता ही नहीं, बीजेपी को वोट देने वाले और समर्थन देने वाले लोग भी सरकार की नीतियों से दुखी हैं। जजपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापसी के बाद अब बीजेपी सरकार अल्पमत में आ चुकी है। इसलिए हरियाणा में तुरंत राष्ट्रपति शासन लागू करके विधानसभा चुनाव करवाए जाने चाहिए।

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