नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी में लाल किला के नजदीक सोमवार को हुए विस्फोट के चश्मदीद रहे सौंदर्य प्रसाधन विक्रेता राजीव कुमार ने जब से उस भयावह मंजर को देखा है, उनकी आंखों की नींद उड़ गई है।
विस्फोट स्थल पर एम्बुलेंस पहुंचने से पहले ही स्थानीय लोग घायलों को बचाने के लिए दौड़ पड़े थे।
लाल किला के पास दुकान चलाने वाले कुमार उन कई लोगों में से एक हैं, जिन्होंने विस्फोट के बाद सबसे पहले बचाव कार्य शुरू किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगा कि यह सिलेंडर विस्फोट है। लेकिन जब मैंने सड़क पर लोगों को खून से लथपथ पड़े देखा, तो मैं एक घायल व्यक्ति की मदद के लिए दौड़ा। वह दर्द से कराह रहा था।’’
कुमार बुधवार को उस व्यक्ति की हालत जानने के लिए लोकनायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल गए, जिसे उन्होंने एंबुलेंस में सवार होने में मदद की थी।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पिछली दो रातों से सो नहीं पाया। मैं बस यह जानना चाहता था कि क्या वह व्यक्ति बच गया। जब आपकी आंखों के सामने ऐसी कोई घटना होती है, तो वह आसानी से आपके दिमाग से नहीं निकलती।’’
मध्य दिल्ली के अस्पताल में कई घायलों को पहुंचाने वाले एम्बुलेंस चालक फिज़ान ने कहा कि उसे अब भी महसूस होता है कि वहां पड़े मानव अंगों में जान थी।
एलएनजेपी अस्पताल के बाहर अपने वाहन के पास खड़े फिज़ान ने विस्फोट के ठीक बाद के मंजर को याद किया। उन्होंने कहा, ‘‘एक जोरदार विस्फोट हुआ। हमें समझ नहीं आया कि क्या हुआ। कभी-कभी टायर फट जाते हैं और वैसी ही आवाज आती है। लेकिन जब हमें बताया गया कि धमाका हुआ है, तो हम सीधे लाल किले की ओर दौड़े।’’
एम्बुलेंस में फिजान के सहकर्मी इमरान ने बताया कि उन दोनों ने उस अफरा-तफरी की स्थिति में कंधे से कंधा मिलाकर काम किया।
उन्होंने कहा, ‘‘उस समय हमने ज़्यादा नहीं सोचा। हमने बस लोगों को उठाना शुरू कर दिया। कुछ लोग बिल्कुल भी हिल नहीं पा रहे थे, कुछ दर्द से कराह रहे थे।’’
इमरान ने कहा, ‘‘हर जगह धुएं और जली हुई धातु की गंध थी। कुछ शव बुरी तरह क्षत-विक्षत थे।’’
अधिकारियों ने बताया कि सोमवार शाम लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास एक ट्रैफिक सिग्नल पर धीमी गति से चल रही एक कार में धमाका हुआ था। धमाके में 12 लोगों की मौत हो गई जबकि 20 अन्य घायल हो गए। धमाके की चपेट में आने से कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। भाषा धीरज सुभाष
सुभाष