उच्च न्यायालय ने खारिज की महबूबा की कैदियों के स्थानांतरण संबंधी जनहित याचिका

उच्च न्यायालय ने खारिज की महबूबा की कैदियों के स्थानांतरण संबंधी जनहित याचिका

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  • Publish Date - December 24, 2025 / 12:45 PM IST,
    Updated On - December 24, 2025 / 12:45 PM IST

श्रीनगर, 24 दिसंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें बाहर की जेलों से कैदियों को जम्मू-कश्मीर की जेलों में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया था।

मुख्य न्यायाधीश अरुण पल्ली और न्यायमूर्ति रजनीश ओसवाल की खंडपीठ ने मंगलवार को पारित 15 पृष्ठ के आदेश में कहा कि याचिका राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए दायर की गई प्रतीत होती है।

पीठ ने कहा, ‘‘ ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता ने यह याचिका स्पष्ट रूप से राजनीतिक लाभ प्राप्त करने और खुद को एक विशेष जनसांख्यिकी के लिए न्याय की योद्धा के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से दाखिल की है।’’

अदालत ने कहा कि वह जम्मू और कश्मीर के निवासियों द्वारा झेले गए हिंसक अतीत से अनभिज्ञ नहीं रह सकती।

अदालत ने कहा, ‘‘यहां तक कि याचिकाकर्ता भी जम्मू और कश्मीर की विशेष परिस्थितियों को स्वीकार करती हैं, क्योंकि याचिका के राहत भाग में उन्होंने कहा है कि विचाराधीन कैदियों को जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की जेलों में रखा जाए, जब तक कि जेल अधिकारी असाधारण मामलों में ‘अपरिहार्य और बाध्यकारी आवश्यकता’ साबित करने वाले कारण इस अदालत के समक्ष प्रस्तुत न करें। याचिकाकर्ता ने ऐसे असाधारण मामलों के विवरण को जानबूझकर नजरअंदाज कर दिया है।’’

पीठ ने कहा कि जनहित याचिका को पक्षपातपूर्ण या राजनीतिक एजेंडा को आगे बढ़ाने या अदालत को राजनीतिक मंच में बदलने के साधन के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘ जनहित याचिका राजनीतिक लाभ प्राप्त करने का तंत्र भी नहीं हैं, और न्यायालय चुनावी अभियानों के लिए एक मंच के रूप में काम नहीं कर सकते हैं।’’

आदेश में कहा गया ‘‘ राजनीतिक दलों के पास मतदाताओं से जुड़ने के कई वैध तरीके हैं, अदालतों को चुनावी लाभ प्राप्त करने के साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।’’

भाषा शोभना मनीषा

मनीषा